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विवाह पंचमी एक विशेष हिंदू पर्व है, जो भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से रामभक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि, इसे श्री राम और सीता के दिव्य विवाह की याद में मनाया जाता है। ये दिन सनातन हिंदू धर्म को मानने वालों के साथ हर भारतीय के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए इस आलेख में इसकी विशेष तिथि से लेकर पूजा विधि तक की पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं।
पंचांग के अनुसार विवाह पंचमी की शुभ तिथि 5 दिसंबर को सुबह 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी जिसका समापन 6 दिसंबर सुबह 12 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 6 दिसंबर 2024 को ही विवाह पंचमी मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस दिन ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग का भी निर्माण होने वाला है। इसलिए, यह दिन बेहद शुभ होने वाला है। विवाह पंचमी का पर्व भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के ऐतिहासिक महत्व को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म में रामायण के अनुसार, भगवान राम और माता सीता का विवाह एक आदर्श विवाह माना जाता है। इस दिन, भक्त श्रीराम और सीता की पूजा करते हैं और उनके विवाह के पवित्र सम्बन्ध की महिमा का गायन भी करते हैं।
विवाह पंचमी के दिन पूजा करने का विशेष तरीका होता है।
चूंकि, हिंदू धर्म में राम-सीता की जोड़ी आदर्श मानी जाती है। विवाह पंचमी उनके पवित्र बंधन का प्रतीक है। इस दिन लोग मंदिरों में जाकर पूजापाठ करते हैं, रामचरितमानस का पाठ करते हैं। भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर राम-सीता विवाह का भव्य आयोजन भी होता है। इस दिन दान का विशेष महत्व है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान देते हैं। मान्यता है कि दान करने से पुण्य मिलता है और जीवन में बरकत आती है। राम-सीता का जीवन हमें आदर्श वैवाहिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। इसलिए, इस त्योहार से हम उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास कर सकते हैं।