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हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है, इससे पितरों को भी शांति मिलती है।
पौराणिक कथाओं में एक उल्लेखित कहानी है, जो वैशाख अमावस्या के महत्व के बारे में बताती है। धर्म वर्ण नाम के एक ब्राह्मण थे जो अत्यंत धार्मिक, विद्वान और श्रेष्ठ पुरुष थे। एक बार वे एक महान संत के आश्रम में पहुंचे और उन्होंने सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करना ही सबसे बड़ा पुण्य माना है। साथ ही, शास्त्रों में किसी यज्ञ, तप या व्रत की तुलना में, भगवान विष्णु का नाम जप करना अधिक लाभदायक बताया गया।
यह सुनते ही धर्म वर्ण ने सांसारिक जीवन को त्याग दिया और संन्यास धारण कर विभिन्न तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने लगे। फिर वैशाख मास की अमावस्या के दिन, उन्होंने एक पवित्र नदी में स्नान कर हिमालय की गुफा में जाकर तपस्या करने लगे। इसमें वे भगवान विष्णु का ध्यान और उनके नाम का जाप करते थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु उनकी तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हुए और स्वयं प्रकट होकर उन्होंने धर्मवर्ण को आशीर्वाद दिया। भगवान विष्णु ने न केवल धर्म वर्ण को बल्कि उसके सभी पितरों को स्वर्ग प्राप्ति और मोक्ष का आशीर्वाद दिया।
इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि वैशाख अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा तथा जाप और आराधना से न केवल आत्मा की शुद्धि होती है, बल्कि पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।