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भगवान कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, कार्तिकेयन, स्कंद और मुरुगन जैसे नामों से जाना जाता है। वे शक्ति और विजय के देवता हैं। उनकी आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है। स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। तो आइए इस लेख में स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आश्विन मास की षष्ठी तिथि का दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान कार्तिकेय की पूजा करके उनसे विशेष आशीर्वाद प्राप्त करना है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक माना गया है जो अपने जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि की तलाश में हैं। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और विजय का देवता माना जाता है। इसलिए, यह व्रत भक्तों को कठिन परिस्थितियों में विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है।
पूजा के दौरान “देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥” मंत्र का जाप करें। बता दें कि इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। यह मंत्र भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक है।
स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की उपासना का पावन पर्व है। इस व्रत को पूरे नियम और भक्ति-भाव से करने पर भगवान कार्तिकेय अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। पूजा की विधि और मंत्र का सही तरीके से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।