ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥
बन परदेशिया जे गइल शहर तू
बिसरा के लोग आपन गांव के घर तू
खुशी सबको मिली भारी,
अवध में राम आये है,
मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥