Skanda Shasti 2025: मार्च महीने में कब मनाई जाएगी स्कंद षष्ठी, जानें दिन का महत्व और पूजा करने की विधि
स्कन्द षष्ठी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जिसका हिंदू धर्म में खास महत्व है। उन्हें शक्ति, युद्ध, विजय और बुद्धिमत्ता का देवता माना जाता है। वे शक्ति और विजय का प्रतीक माने गए हैं। ऐसे में इस दिन व्रत करने और भगवान स्कन्द की पूजा करने से बाधाओं का नाश होता है, शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में मुरुगन भी कहा जाता है। इसी कारण से दक्षिणी राज्य, विशेषकर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आइए लेख के जरिए आपको इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में विस्तार से बताते हैं।
स्कन्द षष्ठी तिथि
2025 में स्कन्द षष्ठी 4 मार्च को मनाई जाएगी। यह 4 मार्च 2025 को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होगी, वहीं तिथि का अंत 5 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट को होगा। इस दिन आप दोपहर से शाम तक कभी भी पूजा कर सकते हैं।
पूजा सामग्री
- भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र
- फूल और मालाएं
- धूप और दीप
- नैवेद्य (फल, मिठाई)
- कुमकुम, हल्दी, चंदन
- स्कन्द षष्ठी व्रत कथा की पुस्तक
पूजा विधि
- स्कन्द षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित करें और उसे फूलों और मालाओं से सजाएं।
- इसके बाद पूजा शुरू करते ही भगवान कार्तिकेय को धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करें।
- फिर स्कन्द षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें और कार्तिकेय मंत्रों का जाप करें।
- अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें और परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटें।
- अगर व्रत रखा हो तो शाम के समय पूजा के बाद व्रत खोलें। इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता है।
- स्कन्द षष्ठी के दिन क्या न करें?
- यह दिन बेहद पवित्र माना जाता है। इसलिए तामसिक भोजन खाने से बचें। किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों को अपने मन में न आने दें। वहीं भगवान कार्तिकेय की भक्ति में डूबकर उनके मंत्रों का जाप करें।
मंत्र: ॐ कार्तिकेय नमः