Shanivar Vrat Vidhi: शनिवार का व्रत कैसे करें, क्या है सही विधि? जानिए मुहूर्त, उद्यापन, सामग्री और आरती
Shanivar Vrat Vidhi: अक्सर आपने लोगों को ऐसा कहते सुना होगा कि अगर शनिदेव अपने भक्त से प्रसन्न हो जाए तो वे उसके सारे कष्टों को हर लेते हैं। साथ ही उनके सभी बिगड़े हुए काम बनने लग जाते हैं। वहीं, शनिदेव को ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। वहीं, अगर किसी भक्त की कुंडली में साढ़ेसाती और ढैय्या का योग है तो उसे जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष के अनुसार अगर आपके कुंडली में भी साढ़ेसाती और ढैय्या का योग है तो आपको शनिवार को व्रत करना चाहिए। आप शनिवार को व्रत के द्वारा शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। ऐसे में अगर शनिवार व्रत रखना चाह रहे हैं या फिर आप पहले से शनिवार व्रत कर रहे हैं और उसका उद्यापन करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए है। इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि शनिवार व्रत कैसे करें, पूजा विधि क्या है, पूजा के किन सामग्रियों की जरूरत होगी और शनिवार व्रत का उद्यापन कैसे करें।
शनिवार व्रत पूजन सामग्री लिस्ट
आर्टिकल में सबसे पहले आपको बताते हैं कि अगर हम शनिवार का व्रत रख रहे हैं या फिर व्रत का उद्यापन करना चाह रहे हैं तो उसके लिए किन-किन पूजा सामग्रियों की जरूरत होगी। तो हम आपको बता दें कि व्रत और उद्यापन के लिए धूप, अगरबत्ती, गंगाजल, पंचामृत, चावल, सरसों का तेल, सूती धागा, लोहे से निर्मित शनि देव की प्रतिमा, पूजा की थाल, काला तिल, फल, कलश, फूल और काला कपड़ा की जरूरत होगी।
शनिवार व्रत शुभ मुहूर्त
ज्योतिष की मानें तो शनिवार व्रत रखने के लिए कोई विशेष शुभ मुहूर्त नहीं है। लेकिन सावन मास में पड़ने वाले शनिवार को व्रत शुरू करना शुभ माना जाता है। या फिर आप चाहें तो किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से भी व्रत शुरू कर सकते हैं।
शनिवार व्रत पूजा विधि
अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो शनिवार के दिन सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ दें। उसके बाद स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद शनि देव की प्रतिमा को स्नान कराएं, ज्ञात हो कि प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाना है। इसके बाद मूर्ति को स्थापित करें। तत्पश्चात भगवान के सामने धूप और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद आप प्रतिमा पर काले रंग का तिल और तेल चढ़ा सकते हैं। साथ ही काले रंग का वस्त्र भी भगवान को अर्पित कर सकते हैं। वस्त्र अर्पित करने के बाद शनिदेव के मंत्रों का जाप करें और शनि चालीसा पढ़ना न भूलें। इसके बाद शनि व्रत कथा पढ़ें और प्रभु की आरती करें। ज्ञात हो कि अगर आपने व्रत रख रखा है तो पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। शाम के समय आप व्रत खोल सकते हैं।
शनिवार व्रत उद्यापन विधि
अगर आप व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो जिस दिन उद्यापन करना है उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर साफ कपड़ा पहनें। इसके बाद पूजा के लिए एक मंडप तैयार करें। मंडप तैयार करने के बाद वहां कलश की स्थापना करें और फल, फूल, धूप, नैवेद्य आदि देवी-देवताओं को चढ़ाएं। इसके बाद शनिदेव की लोहे की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर उसे स्थापित करें। स्थापना के बाद विधि-विधान के साथ हवन करें और तत्पश्चात शनिदेव की आरती करें। आरती करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और सप्रेम दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद परिजनों के साथ स्वयं भोजन कर लें।
शनिवार के दिन इन मंत्रों का करें जाप
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि आह्वान मंत्र
नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||
शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि का पौराणिक मंत्र
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव....