शनि प्रदोष व्रत पर मिलेगी अदृश्य भय से मुक्ति, करने होंगे ये जरूरी उपाय
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और शनिदेव के आराधना के लिए समर्पित होता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले इस व्रत में शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। यह व्रत धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। व्रत के दौरान कुछ उपायों को करने से अदृश्य भय पर विजय सहित कई लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। तो आइए इस आलेख में इन उपायों को विस्तार से जानते हैं।
शनि प्रदोष व्रत के दिव्य उपाय
- अदृश्य भय से मुक्ति के लिए: सवा किलो काली उड़द और दो लड्डू किसी मंदिर में दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से अदृश्य भय से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
- पॉजिटिविटी बनाए रखने के लिए: जरूरतमंद को काला कंबल दान करें। इससे सकारात्मकता बनी रहती है।
- ऑफिस में सहयोग बनाए रखने के लिए: शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाएं और शनि मंत्र "शं ऊँ शं नमः" का 21 बार जाप करें।
- इच्छाओं की पूर्ति हेतु उपाय: कौए को रोटी खिलाएं और "शं ह्रीं शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 11 बार जाप करें।
- संतान की तरक्की हेतु उपाय: किसी बढ़ई या लोहार को उसकी जरूरत की वस्तु दान करें।
- बिजनेस में सफलता के लिए: पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं और अपने चाचा या ताऊ को काले रंग की शर्ट भेंट करें।
- दांपत्य जीवन की खुशहाली हेतु उपाय: काली गाय को बूंदी का लड्डू खिलाएं और उसके दाहिने सींग का स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हेतु उपाय: काले कपड़े में काली उड़द रखकर शनि मंदिर में दान करें।
- संतान प्राप्ति के लिए उपाय: सरसों का तेल कांसे या स्टील की कटोरी में लेकर, उसमें अपना चेहरा देखें और कटोरी सहित दान कर दें।
- परिवार की सुख-समृद्धि हेतु उपाय: शाम के समय रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं।
- आर्थिक लाभ हेतु उपाय: नीला पुष्प पीपल के पेड़ के पास रखकर "ऊं शं शनैश्चराय नम:" मंत्र का 108 बार जाप करें।
- सभी कष्टों के निवारण के लिए उपाय: पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और "ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:" मंत्र का 21 बार जाप करें।
जानिए व्रत का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में कर्म और उसके फल को अत्यधिक महत्व दिया गया है। इस व्रत के माध्यम से भक्त अपने पूर्व जन्मों के पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं और अपने वर्तमान जीवन में सुख-समृद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहते हैं। माना जाता है कि इस दिन शिव और शनि की आराधना से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। ज्योतिष में शनि को जीवन में सुख-दुख का कारक माना गया है। इस व्रत के द्वारा शनि के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
जानिए त्रयोदशी तिथि का महत्व
त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। शिव और शनि दोनों की पूजा से व्यक्ति के जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चूंकि, शनिवार शनि देव का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली हर बाधा दूर हो सकती है।
इस तरह करें शनि प्रदोष व्रत पूजा
- व्रत रखने वाले को प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
- स्नान के बाद शांत चित्त होकर व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग को गंगाजल, दूध, और शहद से स्नान कराएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, और पुष्प अर्पित करें।
- शिवलिंग के समक्ष घी या तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें।
- अब "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
- इसके उपरांत प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें या फिर सुनें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।