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सत्यनारायण व्रत विधि

आज होगी सत्यनारायण भगवान की पूजा रखा जाएगा व्रत, जाने सही विधि और मुहूर्त 


भगवान सत्यनारायण, भगवान विष्णु का ही स्वरूप हैं। सत्यनारायण की पूजा का असल अर्थ है 'सत्य की नारायण के रूप' में पूजा। भगवान सत्यनारायण व्रत हिंदू धार्मिक मान्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह व्रत भगवान नारायण का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। सत्यनारायण पूजा करने के लिए कोई निश्चित दिन नहीं है, लेकिन पूर्णिमा या पूर्णिमा के दौरान इसे करना बेहद शुभ माना जाता है। 


मान्यताओं के अनुसार, सत्यनारायण व्रत रखने से भगवान विष्णु को स्वास्थ्य, समृद्धि, धन और वैभव का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ सत्यनारायण कथा का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आईये जानते हैं साल 2024 में नवंबर माह में सत्यनारायण व्रत कब रखा जाएगा? साथ ही जानेंगे इससे जुड़ी पौराणिक कथा, महत्व और पूजा विधि के बारे में। 


नवंबर में सत्यनारायण पूजा या व्रत कब है? 


सत्यनारायण व्रत अक्सर पूर्णिमा और एकादशी के दिन किया जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को है। ऐसे में 15 नवंबर को भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाएगी साथ ही व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा। 


सत्यनारायण पूजा की पौराणिक कथा


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा कि हे भगवान, पृथ्वी पर सभी लोग बहुत दुखी नजर आ रहे हैं, इसका कोई उपाय नहीं है। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि सत्यनारायण का व्रत करने से सबके कष्ट दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी सत्य को ईश्वर समझकर उसकी पूजा करेगा, उसके सारे पाप कट जाएंगे और उसे शुभ फल की प्राप्ति होगी।


सत्यनारायण व्रत का महत्व 


स्कंद पुराण में भगवान सत्यनारायण की महिमा का वर्णन किया गया है, जिसमें भगवान विष्णु द्वारा नारद को सत्यनारायण व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है। इस पुराण के अनुसार, जो भक्तजन सत्य को ईश्वर मानकर और निष्ठा के साथ इस व्रत कथा का श्रवण करते हैं, उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस पुराण में यह भी कहा गया है कि सत्यनारायण की कथा सुनने मात्र से व्यक्ति को हजारों वर्षों तक किए गए यज्ञ के बराबर ही फल मिलता है। इसके अलावा, इस कथा के पाठ से साधक के जीवन में आ रही परेशानियां भी दूर हो सकती हैं। यह पूजा हमें नकारात्मक शक्तियों से भी बचाती है और हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।


सत्यनारायण व्रत की पूजा विधि


सुबह:

1. पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

2. घर को साफ करें और पूजा स्थान को सजाएं।

3. भगवान सत्यनारायण की तस्वीर या मूर्ति को पूजा स्थान पर रखें और उसके चारों ओर केले के पत्ते बांधें।

4. चौकी पर जल से भरा कलश रखें और देसी घी का दीपक जलाएं।


पूजा:

1. भगवान सत्यनारायण को रोली, जल, दूध, और फूल अर्पित करें। 

2. भगवान सत्यनारायण के सामने धूप जलाएं।

3. भगवान सत्यनारायण की आरती करें।

4. सत्यनारायण व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।

5. भुने हुए आटे में चीनी मिलाकर भगवान को भोग लगाएं।

6. प्रसाद में तुलसी जरूर डालें।



विशेष पूजा:

1. भगवान सत्यनारायण को हलवा और पंचामृत चढ़ाएं।

2. भगवान सत्यनारायण को फल और मेवे चढ़ाएं।

3. भगवान सत्यनारायण को इत्र और फूलों की माला चढ़ाएं।


व्रत के नियम:

1. व्रत के दिन उपवास करें।

2. व्रत के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करें।

3. व्रत के दिन सत्यनारायण व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।

4. व्रत के दिन भगवान सत्यनारायण को प्रसाद चढ़ाएं।


व्रत के लाभ:

1. भगवान सत्यनारायण की कृपा प्राप्ति।

2. मनोवांछित फल की प्राप्ति।

3. जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति।

4. नकारात्मक शक्तियों से बचाव।


सत्यनारायण व्रत कथा 


यदि आप भगवान सत्यनारायण का व्रत रख रहे हैं, तो सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ या श्रवण जरूर करें। इस लिंक पर क्लिक करके आप सत्यनारायण व्रत कथा पढ़ सकते हैं। 


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