जनवरी माह में कब पड़ेगी संकष्टी चतुर्थी, जानें डेट, मुहूर्त और पूजा-विधि
सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और उनके जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में संकष्टी चतुर्थी की सही डेट, मुहूर्त व पूजा-विधि
के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कब है संकष्टी चतुर्थी व्रत?
पंचांग के अनुसार, 17 जनवरी के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने और अपने जीवन की मुश्किलों को दूर करने के लिए कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। इस व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है।
जानिए संकष्टी चतुर्थी का महत्व
सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। इस साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस खास अवसर पर भगवान गणेश की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि अगर संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाए तो इससे साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही गणपत्ति बप्पा की कृपा भी सदैव बनी रहती है। गणेश जी की अराधना के साथ वर्ष का नए वर्ष के आरंभ होने से पूरे वर्ष भक्तों के जीवन से विघ्न बाधाएं दूर रहती हैं। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धी भी बनी रहती है। इतना ही नहीं गणेश जी की अराधना से कार्य में आ रही रुकावटें खत्म होती है।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
पौष महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत जनवरी 17 को सुबह 04:06 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानि जनवरी 18 को सुबह 05:30 मिनट पर तिथि का समापन होगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय का समय रात 09:09 बजे रहेगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन पूजा करने के लिए विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है, इस व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- अब स्वच्छ चौकी पर हरे या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- इसपर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही पूजन सामग्री जैसे सिंदूर, दूर्वा, फूल, फल, मिठाई और तिल से बनी चीजें भगवान को चढ़ाएं।
- इसके बाद सकट चौथ की व्रत कथा का पाठ करें और भगवान गणेश की आरती उतारें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
- इस दिन तिलकुट का भोग विशेष रूप से लगाना चाहिए। क्योंकि, यह भगवान गणेश को बेहद प्रिय होता है। इसके अलावा मोदक का भोग भी अर्पित करें, ये भी गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।
संकष्टी चतुर्थी में दान करने के लाभ
संकष्टी चतुर्थी व्रत केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह व्रत मानसिक शांति, धैर्य और सकारात्मकता प्रदान करता है। भगवान गणेश और माता सकट की आराधना साधक के जीवन में सुख-समृद्धि लाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गाय और हाथी को गुड़ खिलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।