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हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।
रुक्मिणी अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की साथ में पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा करने से धन ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं रुक्मिणी अष्टमी कब है? इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है? और पूजा विधि के बारे में।
पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 23 दिसंबर को शाम 05 बजकर 07 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में इस साल 22 दिसंबर को रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा और उदया तिथि के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी का व्रत 23 दिसंबर को रखा जाएगा।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से 12:41 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:27 बजे से 5:55 बजे तक।
मान्यताओं के अनुसार रुक्मिणी जी का जन्म पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जब जन्म लिया था, तब माता लक्ष्मी ने रुक्मिणी और राधा के रूप में जन्म लिया था। रुक्मिणी जी के रूप में माता लक्ष्मी का जन्म इसी तिथि को हुआ था। ऐसे में इस अवसर पर कृष्ण भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और यह मानते हैं की रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत रखने से उनके धन-धान्य में वृद्धि होगी। इस दिन स्त्रियां प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान सत्यनारायण, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे को जल अर्पण करती हैं।
पूजा सामग्री:
पूजा विधि: