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हिंदू पंचांग में दसवें माह को पौष कहते हैं। इस बार पौष मास की शुरुआत 16 दिसंबर से हो गई है जो 13 जनवरी तक रहेगी। इस मास में हेमंत ऋतु का प्रभाव रहता है। इसलिए, इस दौरान काफ़ी सर्दी होती है। इस महीने में सूर्य अपने विशेष प्रभाव में होते हैं अत: सूर्य की उपासना काफ़ी लाभकारी होती है। मान्यता है कि इस महीने सूर्य ग्यारह हजार रश्मियों के साथ व्यक्ति को उर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना की जाए तो व्यक्ति पूरे साल स्वस्थ्य रहता है।
इस मास के दौरान मध्य रात्रि की साधना बेहद लाभकारी मानी जाती है। इस महीने में गर्म वस्त्रों और नवान्न का दान भी काफी उत्तम होता है। लाल और पीले रंग के वस्त्र भाग्य में वृद्धि करते हैं। साथ ही घर में कपूर का प्रयोग व्यक्ति के स्वास्थ्य को भी खूब बढ़िया रखता है।
सूर्य उपासना के लिए महामंत्र
पौष माह में कोई शुभ कार्य तो नहीं होते हैं। परंतु यह मास ईश्वर की उपासना ख़ासकर, सूर्य और पितरों की उपासना के लिए सबसे उत्तम महीना माना जाता है। पौष माह को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के किया गया पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति दिलाता है। इस पूरे महीने इनकी पूजा करने से घर में खुशहाली और जीवन में मान-सम्मान, धन की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पौष महीने में सूर्य पूजा से स्वास्थ्य अच्छी बनी रहती है और साधक दीर्घायु होता है।