मोक्षदा एकादशी पर इस तरह करें विष्णु जी का पूजन, धन-समृद्धि की नहीं होगी कमी
प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इसी प्रकार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी को मोक्ष प्रदान करने वाली तिथि माना जाता है। यह व्रत जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने के साथ ही धन-समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024 को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और मंत्र जाप का विशेष महत्व है। सही विधि से पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं इस दिन आप किस प्रकार भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं।
मोक्षदा एकादशी 2024 का शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 11 दिसंबर 2024 को देर रात 02:12 बजे।
- एकादशी तिथि समाप्त: 11 दिसंबर 2024 को रात 11:39 बजे।
- व्रत तिथि: 11 दिसंबर 2024 (बुधवार)।
इस तिथि पर पूरे दिन व्रत और पूजा करने के बाद रात को आरती व फलाहार किया जा सकता है।
भगवान विष्णु की पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए विशेष विधि-विधान का पालन करना चाहिए।
- सुबह जल्दी उठें: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
- पूजा स्थल तैयार करें: पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें। एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- विष्णु जी का अभिषेक करें: गंगाजल या स्वच्छ जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल का मिश्रण) से विष्णु जी को स्नान कराएं।
- पूजा सामग्री अर्पित करें: भगवान विष्णु को फूल, माला, गोपी चंदन, मिठाई, और तुलसी पत्र अर्पित करें। तुलसी पत्र को गंगाजल में धोकर अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलित करें: देसी घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
- भोग लगाएं: विष्णु जी को पंचामृत, खीर, मिठाई, और फल का भोग लगाएं।
- मंत्र जाप करें: विष्णु जी के मंत्रों का जप करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- एकादशी कथा का पाठ करें: मोक्षदा एकादशी की कथा का पाठ करें या सुनें। कथा का पाठ करने से व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
- आरती करें: अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। सभी में प्रसाद वितरित करें।
मोक्षदा एकादशी पर जपने वाले मंत्र
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता के निमित्त निम्न मंत्रों का जाप सुबह और शाम दोनों समय करना चाहिए।
भगवान विष्णु के लिए
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
"ॐ नारायणाय नमः।"
"ॐ अं वासुदेवाय नमः।"
"ॐ आं संकर्षणाय नमः।"
"ॐ अं प्रद्युम्नाय नमः।"
"ॐ अ: अनिरुद्धाय नमः।"
तुलसी माता के लिए
"ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।"
"ॐ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो तुलसी प्रचोदयात।"
मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम
मोक्षदा एकादशी पर व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
- व्रतधारी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- व्रत के दौरान चावल का सेवन वर्जित है।
- इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। पूजा के लिए एक दिन पहले ही पत्ते तोड़ लें।
- अपशब्द बोलने, झूठ बोलने, और क्रोध करने से बचें।
- किसी भी प्रकार का मांसाहार और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत कथा सुनें।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पितृदोष समाप्त होता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। भगवद्गीता का पाठ भी इस दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह दिन गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गीता के उपदेश व्यक्ति को सांसारिक मोह से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं।