मोक्षदा एकादशी पर दुर्लभ 'भद्रावास' योग समेत बन रहे हैं ये 6 अद्भुत संयोग, विष्णु पूजा से मिलेगा लाभ
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 11 दिसंबर 2024 को यह पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गीता जयंती का भी पर्व होता है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान दिया था। ज्योतिषीय दृष्टि से इस मोक्षदा एकादशी पर दुर्लभ 'भद्रावास' योग समेत कुल 6 शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा से अक्षय फल एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए इन योगों और उनके महत्व को विस्तार से जानते हैं।
मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 दिसंबर को देर रात 03:42 मिनट पर होगा। यह तिथि 12 दिसंबर को रात 01:09 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर को रखा जाएगा। इस दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाएगा।
मोक्षदा एकादशी पर बन रहे 6 अद्भुत योग
- भद्रावास योग: यह दुर्लभ योग 11 दिसंबर को दोपहर 02:27 मिनट से प्रारंभ होकर 12 दिसंबर की रात 01:09 मिनट तक रहेगा। महत्व: इस योग को ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जातक को मनोकामना की पूर्ति होती है। जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है। यह योग विशेष रूप से आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख-शांति लाने वाला है। इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेगी, जो इसे और भी शुभ बनाती है।
- रवि योग: 11 दिसंबर को सुबह 07:04 मिनट से लेकर 11:48 मिनट तक रहेगा।महत्व: इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही करियर और व्यापार में भी तरक्की होती है। इससे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बढ़ता है।
- वरीयान योग: यह योग 11 दिसंबर की सुबह 06:48 मिनट पर समाप्त होगा।महत्व: वरीयान योग में की गई पूजा-पाठ और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस योग में किए गए कार्यों का प्रभाव दीर्घकालिक और शुभ फलदायी होता है।
- रेवती नक्षत्र: मोक्षदा एकादशी पर रेवती नक्षत्र का संयोग शुभ परिणाम देता है। इस नक्षत्र में भगवान विष्णु की पूजा से आत्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अश्विनी नक्षत्र: अश्विनी नक्षत्र को स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस नक्षत्र में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- वणिज और विष्टि योग: इन योगों में किए गए धार्मिक कार्य और दान विशेष फल प्रदान करते हैं। परिवार में खुशियां आती हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
- फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम और गीता का पाठ करें।
- अंत में विष्णु जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। गीता जयंती के अवसर पर गीता का पाठ करना और उसके उपदेशों का पालन करना विशेष पुण्यकारी माना जाता है। भद्रावास योग समेत अन्य शुभ योगों के निर्माण से यह मोक्षदा एकादशी और भी खास बन गई है। इन योगों में पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हर क्षेत्र में मिल सकती है सफलता
मोक्षदा एकादशी 2024 पर दुर्लभ भद्रावास योग समेत 6 शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इसे अत्यंत शुभ और फलदायी बनाते हैं। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भक्ति से हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। इस पावन दिन पर व्रत और पूजा-अर्चना करके अपने जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भर सकते हैं।