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माघ मास की अमावस्या, जिसे मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को लेकर कई तरह की धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि इस दिन पितृ देवता धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के द्वारा किए गए पिंडदान से प्रसन्न होते हैं। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान और पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, इस दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर जाते हैं और दान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध होता है। कई लोग इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। हालांकि, गंगा स्नान का शुभ फल तभी प्राप्त होता है जब इसे शुभ मुहूर्त में किया जाए। शुभ मुहूर्त में किए गए स्नान का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, इस दिन स्नान करने से पहले शुभ मुहूर्त के बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है जो हर साल मनाया जाता है। इस वर्ष, मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त 28 जनवरी को रात 7 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा और यह 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगा। चूंकि पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या का मुख्य दिन उदय तिथि पर निर्धारित होता है, इसलिए इस वर्ष यह पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा। इसीलिए इसे माघ अमावस्या भी कहा जाता है।
इस दिन हिंदू धर्म में स्नान, दान और मौन व्रत का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और दान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन मौन रहकर आत्मशुद्धि की जाती है और मन को शांत किया जाता है।
पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के लिए सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है। इस बार ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 6 बजकर 18 मिनट तक है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में किया गया पूजन और दान विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा, विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 5 मिनट तक है। यह मुहूर्त भी शुभ माना जाता है और इस दौरान किए गए शुभ कार्य सफल होते हैं। अमृत काल रात 9 बजकर 19 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। अमृत काल को बहुत शुभ माना जाता है और इस दौरान किए गए कार्य में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।
अगर आप मौनी अमावस्या के दिन स्नान कर रहे हैं तो इन मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। इससे शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।