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हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस बार की मौनी अमावस्या और भी अधिक महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि इसी दिन प्रयागराज में महाकुंभ का अमृत स्नान भी होगा। महाकुंभ का अमृत स्नान एक अत्यंत पवित्र और पुण्यकारी कार्य माना जाता है। इस कारण इस बार की मौनी अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है।
मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का भी विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए इन कर्मों से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें शांति मिलती है। प्रयागराज का संगम तीर्थ स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन प्रयागराज के संगम में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। अब ऐसे में इस साल मौनी अमावस्या का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
पंचांग के अनुसार, माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7:35 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी को शाम 6:05 बजे समाप्त होगी। हालांकि, हिंदू धर्म में उदया तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है। इसलिए, मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करेंगे और दान करेंगे।
महाकुंभ में इस दिन करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। मान्यता है कि इस दिन मौन रहकर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। विशेषकर, त्रिवेणी संगम में स्नान करने को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन स्नान करने से करोड़ों वर्षों के पाप नष्ट हो जाते हैं। मौनी अमावस्या के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस पावन अवसर पर गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र आदि दान करने से पुण्य मिलता है।
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है। यह दिन आत्मशुद्धि, मोक्ष प्राप्ति और पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए समर्पित होता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाने वाली मौनी अमावस्या पर कई मंगलकारी योगों का निर्माण होता है। इन शुभ योगों में महादेव की आराधना करने से भक्तों को जीवन के सभी दुखों और संकटों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा और ध्यान से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों को तिल का जल चढ़ाने और पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। साथ ही, गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि गंगा जल पवित्र है और इसमें स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।