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माघ मास की कृष्ण जन्माष्टमी, जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह इस साल 2025 में 21 जनवरी को पड़ रही है। यह विशेष दिन श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर मनाया जाता है। विशेष रूप से व्रत और उपवास रखने वालों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के अवतार की विशेष पूजा की जाती है। हालांकि, यह व्रत कथा के बिना पूर्ण नहीं होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की पौराणिक कथा को विस्तार पूर्वक जानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग मे मथुरा में उग्रसेन नाम के राजा हुए थे। हालांकि, वे स्वभाव से काफी सीधे-साधे व्यक्ति थे। यही वजह थी कि उनके पुत्र कंस ने ही उनका राज्य हड़प लिया और खुद मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन थी, जिसका नाम था देवकी। कंस उनसे बहुत स्नेह करता था। देवकी का विवाह वासुदेव से तय हुआ तो विवाह संपन्न होने के बाद कंस स्वयं ही रथ हांकते हुए बहन को ससुराल छोड़ने के लिए निकला। कंस अपनी बहन देवकी को छोड़ने जा रहा था परंतु तभी एक आकाशवाणी हुई कि “हे कंस, जिस बहन को तू बड़े प्रेम से ले ससुराल ले जा रहा है, उसी के गर्भ से पैदा होने वाला आठवां बालक तेरा वध करेगा।” यह सुनते ही कंस क्रोधित हो गया और देवकी और वसुदेव को मारने के लिए आगे बढ़ा। तभी वसुदेव ने कहा कि वह अपनी छोटी बहन देवकी को कोई नुकसान ना पहुंचाए। वह स्वयं ही देवकी की आठवीं संतान कंस को सौंप देगा। उसके बाद कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागार में बंद कर दिया।
इसके साथ ही कारागार के आसपास कड़ा पहरा कर दिया। कंस अपनी मौत के डर से देवकी और वसुदेव के 7 संतानों को पहले ही मार चुका था।
तब श्री विष्णु ने वसुदेव को दर्शन देकर कहा कि वह स्वयं ही उनके पुत्र के रूप में जन्म ले रहे हैं। इसके बाद भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। भगवान विष्णु की माया से सभी पहरेदार सो गए, कारागार के दरवाजे खुल गए।
तब वसुदेव अपनी आठवीं संतान की प्राण रक्षा हेतु उसे वृंदावन में अपने मित्र नंद बाबा के घर पर छोड़ आएं और यशोदा जी के गर्भ से जिस मृत कन्या का जन्म हुआ था, उसे कारागार में ले आएं। और फिर उसे मथुरा में कंस को सौंप दिया। इसके बाद कंस तत्काल उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकने लगा। लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई। फिर कन्या ने कहा “हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और अपने स्थान पर पहुंच गया है। वह कन्या कोई और नहीं, बल्कि स्वयं योग माया थीं।
बता दें कि माघ मास की कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में सभी प्रकार के विघ्न भी दूर होते हैं।
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 22 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर होगा। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि में करने का विधान है। इसलिए, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत मंगलवार, 21 जनवरी को किया जाएगा। इस कारण मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।