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मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

देवी दुर्गा की उपासना के लिए विशेष है मासिक दुर्गाष्टमी व्रत, जानिए कथा और महत्व 


मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं। इस व्रत को करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों को उनके जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति मिलती है। इस दिन देवी दुर्गा के सामने व्रत कथा सुनने या पढ़ने का विशेष महत्व है। इससे जीवन में चल रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है। तो आइए इस लेख में दुर्गाष्टमी व्रत कथा और इसके महत्व को विस्तार से जानते हैं। 


मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय ऐसा आया जब पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया। ये राक्षस न केवल पृथ्वी पर विनाशकारी कार्य कर रहे थे, बल्कि स्वर्गलोक पर भी कब्जा करने की कोशिश में लगे थे। उन्होंने कई देवी-देवताओं की हत्या कर दी थी और स्वर्ग में कोहराम मचा दिया था।

इन राक्षसों में सबसे शक्तिशाली था महिषासुर। महिषासुर ने अपने बल और तप के कारण देवताओं को हराने की क्षमता प्राप्त कर ली थी। देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महादेव के पास पहुंचे और अपनी पीड़ा सुनाई। देवताओं की रक्षा के लिए तीनों ने अपनी शक्तियों का संयोग कर देवी दुर्गा को उत्पन्न किया।

देवी दुर्गा के प्रकट होते ही सभी देवताओं ने उन्हें अपनी-अपनी शक्तियां के साथ अस्त्र-शस्त्र भेंट किए। देवी ने अपने दिव्य स्वरूप से पूरे ब्रह्मांड को चकाचौंध कर दिया। इसके बाद देवी दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर महिषासुर सहित अन्य राक्षसों का संहार किया। महिषासुर का वध करने के बाद, देवी को ‘महिषासुर मर्दिनी’ के रूप में पूजा जाने लगा।

इसी दिन से दुर्गाष्टमी का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस कथा को सुनने से मन में नई ऊर्जा का संचार होता है और यह हमें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।


क्या संदेश देता है ये व्रत? 


यह व्रत हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर हम जीवन की कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। अतः हर भक्त को इस पावन दिन पर देवी की उपासना कर उनके आशीर्वाद का भागी बनना चाहिए।


कब है मासिक दुर्गाष्टमी? 


पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 08 दिसंबर दिन रविवार को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 09 दिसंबर दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। मासिक दुर्गाष्टमी पर निशा काल में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इसलिए, 08 दिसंबर को मासिक दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। यह दिन उन भक्तों के लिए बेहद खास होता है, जो मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन की गई पूजा से न केवल घर-परिवार में सुख-शांति आती है, बल्कि जीवन के सभी संकटों का भी अंत होता है।


मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व


मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन देवी दुर्गा की आराधना करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है। इस दिन व्रत रखने और मां दुर्गा के चरणों में श्रद्धा से की गई पूजा का फल अत्यंत शुभ होता है, इस व्रत के लाभ निम्नलिखित हैं।

 

  1. भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  2. जीवन की सभी समस्याओं से राहत मिलती है।
  3. घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  4. मां दुर्गा अपने भक्तों की हर संकट से रक्षा करती हैं।
  5. सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों को जीवन में तरक्की मिलती है।


बता दें कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन भक्त सुबह स्नान कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। देवी को लाल पुष्प, मिठाई, नारियल, धूप, दीप और सिंदूर अर्पित किया जाता है। दिनभर उपवास रखा जाता है और शाम को दुर्गाष्टमी व्रत कथा सुनने का विधान है।


मासिक दुर्गाष्टमी व्रत विधि


  1. स्नान और संकल्प: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  2. मां दुर्गा की पूजा: देवी को लाल रंग के वस्त्र, पुष्प, नारियल, और मिठाई चढ़ाएं।
  3. व्रत कथा श्रवण: पूजा के बाद दुर्गाष्टमी व्रत कथा सुनें।
  4. आरती और प्रसाद: देवी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
  5. व्रत समाप्ति: अगले दिन पारण कर व्रत समाप्त करें।

अग्नि देवता की पूजा विधि क्या है?

सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं।

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