नवीनतम लेख

मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत विधि

इस विधि से करें मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत और पूजन! प्राप्त होगी विशेष कृपा   


सनातन हिंदू धर्म में, हर महीने मां दुर्गा के निमित्त मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत और पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा का व्रत करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। हालांकि, माता को प्रसन्न करने हेतु व्रत और पूजन विधि पूर्वक करना जरूरी है। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस तिथि पर किस प्रकार व्रत और पूजन कर माता दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है।


मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि 


मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त हो जाएं। इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प धारण करें। अब मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। मां दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय माना गया है। ऐसे में पूजा में देवी मां को सोलह श्रृंगार की साम्रगी, लाल चुनरी, लाल रंग के फूल आदि अर्पित करें। अंत में मां दुर्गा की आरती और उनके मंत्रों का जाप करते हुए सभी लोगों में प्रसाद बांटे।


पूजा में इन मंत्रों का अवश्य करें जाप 


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।


कब मनाई जाएगी मासिक दुर्गा अष्टमी?  


वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 05 फरवरी को रात्रि के 02 बजकर 30 मिनट पर होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 06 फरवरी को देर रात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। बता दें कि मां दुर्गा की पूजा निशा काल में की जाती है। अत: 05 फरवरी को माघ महीने की दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।


मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ योग 


वैदिक पंचाग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शुक्ल और ब्रह्म योग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। इस दिन भद्रा दोपहर तक स्वर्ग में रहेंगी। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सभी प्रकार के सुख के साधन सुलभ होते हैं। साथ ही सारे बिगड़े काम भी बन जाते हैं।  भक्त अपनी सुविधा अनुसार समय पर मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।


जान लीजिए मुहूर्त का समय 


  • सूर्योदय का समय:- सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर। 
  • सूर्यास्त का समय:- शाम 06 बजकर 04 मिनट पर।
  • चन्द्रोदय का समय:- सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर।
  • चंद्रास्त का समय:- देर रात 01 बजकर 30 मिनट पर।
  • ब्रह्म मुहूर्त:- सुबह 05 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक।
  • विजय मुहूर्त:- दोपहर 02 बजकर 25 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक।
  • गोधूलि मुहूर्त:- शाम 06 बजकर 01 मिनट से 06 बजकर 27 मिनट तक।
  • निशिता मुहूर्त:- रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक। 

दिखा दे थारी सुरतियाँ(Dikha de Thari Suratiya)

श्याम सलोनो प्यारो म्हारो, मैं लुल लुल जावा
मन को मोर्यो नाचन लाग्यो झूम झूम गावा ,

जैसे तुम सीता के राम (Jaise Tum Sita Ke Ram)

जैसे तुम सीता के राम
जैसे लक्ष्मण के सम्मान

हे वीणा वादिनी सरस्वती, हंस वाहिनी(Hey Veena Vadini Saraswati Bhajan)

हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती

तेरे दरबार मे मैया खुशी मिलती है (Tere Darbar Mein Maiya Khushi Milti Hai)

तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे ॥

यह भी जाने