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भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना है मार्गशीर्ष, जानिए कैसे करें इस माह में उनकी पूजा

कार्तिक माह के बाद मार्गशीर्ष महीना शुरू हो जाता है। इस माह को श्रीकृष्ण की पूजा के लिए सबसे खास माना जाता है। मार्गशीर्ष में किए गए धार्मिक कार्य अमोघ फल प्रदान करते हैं। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम, भगवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष इत्यादि के पाठ से पितरों को मोक्ष मिलता है। साथ ही साधक के जीवन में भी सुख का वास होता है। मार्गशीर्ष के महीने में शंख में पवित्र नदी का जल भरकर इसे पूजा स्थल पर रखने से भी पुण्य प्राप्त होता है और व्यक्ति के पापों का नाश होता है। इस आलेख में विस्तार से जानिए मार्गशीर्ष माह के बारे में। 


मार्गशीर्ष माह 2024 की शुरुआत


इस वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 16 नवंबर 2024 से हो रही है और यह 15 दिसंबर 2024 तक चलेगा। इस समय के बाद पौष माह का आगमन होगा। इस बार मार्गशीर्ष माह के पहले दिन वृश्चिक संक्रांति भी पड़ रही है। इसमें सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। यह समय धार्मिक कार्यों एवं पूजापाठ के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है।


श्रीकृष्ण और मार्गशीर्ष माह


भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह को अपना प्रिय बताया है। उन्होंने कहा:

"बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्। मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकर।"

अर्थात - “मैं सामों में बृहत्साम, छन्दों में गायत्री, मासों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसन्त हूँ।” इस श्लोक के माध्यम से भगवान ने मार्गशीर्ष माह को अपने रूप में दर्शाया है। इस महीने में की गई भक्ति और साधना से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।


मार्गशीर्ष माह का धार्मिक महत्व


हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह (जिसे अगहन मास भी कहा जाता है) नवां महीना है और यह धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए यह महीना अत्यधिक खास माना गया है। क्योंकि, भगवान श्रीकृष्ण स्वयं इसे प्रिय मानते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि इस माह में भगवान की भक्ति से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। साथ ही स्वर्ग का भी मार्ग प्रशस्त होता है। सतयुग में इस माह के प्रथम तिथि से ही वर्ष की शुरुआत होती थी। इसलिए इसे विशेष धार्मिक मान्यता प्राप्त है।


मार्गशीर्ष माह में धार्मिक कार्य और लाभ


  1. शंख पूजा का महत्व: इस माह में शंख पूजा का विशेष महत्व है। श्रद्धालु शंख में पवित्र नदी का जल भरकर इसे पूजा स्थान पर रखते हैं और मंत्रों का जाप करते हुए इसे भगवान पर अर्पित करते हैं। शंख में भरे जल का छिड़काव घर के कोने-कोने में करने से घर में समृद्धि बढ़ती है।
  2. पाठ और मंत्र का जाप: मार्गशीर्ष माह में विष्णुसहस्रनाम, भगवद गीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  3. श्री कृष्ण की पूजा: मार्गशीर्ष माह के दौरान सुबह और शाम श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति के इच्छुक भक्तों को लाभ होता है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। श्रीकृष्ण को प्रिय इस महीने में उनकी उपासना करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।


मार्गशीर्ष माह के लाभ


इस माह को शुभ कार्यों, मांगलिक आयोजनों और विवाह के लिए अति उत्तम माना जाता है। इस महीने में विशेष रूप से शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त होते हैं। विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे कार्य करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इस प्रकार, मार्गशीर्ष माह में श्रीकृष्ण की उपासना, शंख पूजा और नियमों का पालन भक्तों को विशेष पुण्य और सुख की प्राप्ति कराता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर इन मंत्रों का करें जाप

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। हिन्दू धर्म में यह एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा के लिए समर्पित है।

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