नवीनतम लेख

मकर संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य कैसे दें

Surya Arghya on Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य कैसे दें, जानें सही विधि और नियम


हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं। क्योंकि, सूर्य हर महीने राशि बदलते हैं। जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नदी में स्नान और सूर्यदेव की पूजा और अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। तो आइए, इस आर्टिकल में सूर्य को अर्घ्य देने की विधि और नियम को विस्तार से जानते हैं।  


मकर संक्रांति पर कैसे करें सूर्यदेव की पूजा? 


  • मकर संक्रांति के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। 
  • इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर सूर्योदय के वक्त पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
  • इसके बाद तांबे के लोटे में जल भर लें और उसमें लाल पुष्प, कुमकुम, अक्षत, गुड़ और तिल मिला दें। 
  • इसके बाद जल के पात्र को ऊपर उठाकर सूर्यदेव की ओर देखते हुए निम्न मंत्रों का जाप करें। ॐ सूर्याय नमः, ॐ आदित्याय नमः, ॐ भास्कराय नमः 
  • भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और ध्यान रखें कि जल की धारा सीधी सूर्य पर ही पड़े। 
  • अर्घ्य देने के बाद सूर्यदेव का श्रद्धापूर्वक दर्शन करें। 
  • अब अपनी जगह पर ही तीन बार घूमें। यह सूर्यदेव की परिक्रमा के समान है। 
  • आखिर में सूर्यदेव की आरती करें।


मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा का लाभ  


  • वेद-पुराणों और धर्म शास्त्रों में सूर्यदेव की उपासना को स्वास्थ्य और सुख का कारक बताया गया है।
  • सूर्य देव की नियमित पूजा से रोग और शोक दोनों ही दूर होते हैं।  
  • मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से शरीर की कमजोरी और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है। 
  • बता दें कि सूर्य की स्थिति अपनी कुंडली में मजबूत करने हेतु अपने पिता का सम्मान करना आवश्यक है।   


इस दिन तिल और दान का है महत्व


सूर्यदेव की पूजा के अलावा मकर संक्रांति पर तिल और उसके दान का खास महत्व माना जाता है। तिल का संबंध शनिदेव से है। इसलिए, इसका दान शनिदोष को कम करता है। इस दिन सूर्यदेव शनि की राशि मकर में एक माह के लिए प्रवेश करते हैं। जिससे शनि का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है। काले तिल के दान से शनिदोष से मुक्ति मिलती ही है। साथ ही सूर्यदेव की कृपा भी प्राप्त होती है।


मकर संक्रांति के दिन जरूर करें ये कार्य


मकर संक्रांति के शुभ दिन आप आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। इसके अलावा श्रीनारायण कवच और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है। वहीं, पूजा के बाद तिल, उड़द दाल, चावल, खिचड़ी, गुड़, गन्ना और सब्जी का दान करना लाभकारी होता है। भविष्य पुराण की माने तो मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की उपासना करने से व्यक्ति बुद्धिमान, मेधावी और समृद्धशाली बनता है।


नन्द के आनंद भयो(Nand Ke Anand Bhayo)

आनंद उमंग भयो,
जय हो नन्द लाल की ।

पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया - भजन (Paar Karenge Naiya Bhaj Krishna Kanhaiya)

पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया ।
पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया ।

तेरे मन में राम, तन में राम (Tere Mann Mein Ram Tan Mein Ram)

तेरे मन में राम,
तन में राम ॥

मैं तो संग जाऊं बनवास, स्वामी (Main Too Sang Jaun Banwas)

मैं तो संग जाऊं बनवास
मैं तो संग जाऊं बनवास