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मकर संक्रांति के साथ ही खरमास का समापन होता है। जो इसे और भी शुभ बनाता है। इस दिन मांगलिक कार्य, निवेश और खरीदारी के लिए समय अनुकूल है। सूर्य के मकर में प्रवेश की खगोलीय घटना मकर संक्रांति के कहलाती है। 2025 में, माघ कृष्ण चतुर्थी के पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। जो 19 वर्षों बाद हो रहा है। तो आइए, इस आर्टिकल में मकर संक्रांति के इस शुभ योग एवं इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से जानते हैं।
ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए, जरूरतमंदों को ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करें। इससे ना केवल पुण्य प्राप्त होगा। बल्कि, समाज में सकारात्मकता का संदेश भी जाएगा। बता दें कि इससे कई तरह के लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
14 जनवरी 2025 को सुबह 8:54 बजे सूर्य अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शास्त्रों के अनुसार, यह समय सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक है। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है और इस दौरान किए गए शुभ कार्यों का विशेष फल मिलता है।
इस वर्ष मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। पुष्य नक्षत्र 14 जनवरी को सुबह 10:17 बजे शुरू होकर 15 जनवरी को सुबह 10:28 बजे तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र के अधिपति शनि देव हैं। मकर संक्रांति भी शनि देव को समर्पित है। इस शुभ संयोग में दान, स्नान और जप करना अत्यधिक लाभकारी माना गया है।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना सेहत के लिए लाभकारी होता है। खिचड़ी पाचन तंत्र को सुचारू रखने में मदद करती है। यदि इसे मटर और अदरक के साथ बनाया जाए तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने में भी सहायक होती है।
मकर संक्रांति के बाद से नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इससे कई बीमारियां दूर होती हैं। इस समय तिल और गुड़ का सेवन शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से, उत्तरायण में सूर्य का ताप ठंड को कम करने में सहायक होता है।
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। गंगा, यमुना जैसी नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी का दान करने से पुण्य मिलता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना गया है। इस दिन सूर्य को जल अर्पित करें और "ॐ सूर्याय नमः" का जाप करें। अपने नहाने के जल में तिल डालें और माघ माहात्म्य का पाठ करें। यह दिन गोशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन दान करने के लिए भी शुभ माना गया है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसे "संक्रांति," कहीं "पोंगल," कहीं "उत्तरायण," तो कहीं "खिचड़ी" कहा जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व है।
यह पर्व धार्मिक रूप से जहां मोक्ष, दान और सूर्य उपासना का दिन है, वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से मौसम में बदलाव का संकेत है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे कर्म भी बड़ा सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं बल्कि प्रकृति, धर्म और संस्कृति का संगम है। इसे पूरे उत्साह और परंपराओं के साथ मनाएं और सूर्य और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करें।