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महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम

Mahashivratri Belpatra Rules: महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने के दौरान इन नियमों का करें पालन, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं


महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर, प्रत्येक हिंदू घर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण होता है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से व्रत रखते हैं और चारों पहर में भगवान शिव की आराधना करते हैं। शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें जल, बेलपत्र, और अन्य प्रिय वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।


भगवान शिव का प्रसाद बेहद खास होता है, जिसमें ऐसी वस्तुएं शामिल होती हैं जो लोगों द्वारा ग्रहण नहीं की जातीं, लेकिन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। शिव पूजा की विधि नियमानुसार होना चाहिए और प्रत्येक वस्तु को अर्पित करने के अपने विशेष नियम हैं। बेलपत्र चढ़ाने के भी विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है।


वहीं इस साल महाशिवरात्रि का महापर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। यदि आप भी भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुओं और बेलपत्र से प्रसन्न करना चाहते हैं, तो यह आवश्यक है कि आप सही नियमों का पालन करें। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से भोलेबाबा को बेलपत्र चढ़ाने के नियम के बारे में जानते हैं। 



भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के नियम पढ़ें


  • सबसे पहले, यह तय करें कि आप शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाएंगे।
  • बेलपत्र हमेशा 3, 5, 9, 11, 21, 51 या 108 की संख्या में ही चढ़ाएं।
  • अगर आप खुद बेलपत्र चुन सकते हैं, तो यह बेहतर होगा।
  • यदि आप बाहर से बेलपत्र खरीद रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे साफ और ताजे हों।
  • बेलपत्रों को पानी से धोकर साफ करें और फिर उन्हें एक साफ बर्तन में रखें।
  • कभी भी कटे-फटे बेलपत्र शिवलिंग पर न चढ़ाएं।
  • ध्यान रखें कि बेलपत्र 3 के जोड़ें में हों और उन पर कोई कीड़ा न लगा हो।
  • बेलपत्र उसी पेड़ से तोड़े जाएं, जो साफ और पवित्र स्थान पर हो।



बेलपत्र चढ़ाने की विधि


  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय, बेलपत्र की चिकनी सतह को ऊपर की ओर और रेखायुक्त भाग को नीचे की ओर रखें।
  • ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
  • बेलपत्र चढ़ाते समय "ऊं नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
  • यदि संभव हो, तो "ऊं महादेवाय नमः" या "ऊं त्र्यंबकाय नमः" भी कह सकते हैं, जिससे पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि पहले से चढ़ाया गया बेलपत्र ताजा और साफ है, तो उसे गंगाजल से धोकर पुनः शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।
  • ध्यान रखें कि बेलपत्र दक्षिण दिशा में न गिरे, क्योंकि दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है, और वहां बेलपत्र गिराना अशुभ माना जाता है।
  • भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग नहीं किया जाता, इसलिए बेलपत्र को कभी भी तुलसी के साथ शिवलिंग पर न चढ़ाएं।



बेलपत्र तोड़ने का समय ध्यान रखें


बेलपत्र को सोमवार, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए, और शाम के समय भी बेलपत्र तोड़ने से बचें।

यदि महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाना हो, तो एक दिन पहले बेलपत्र तोड़कर पानी में डालकर रख लें और फिर अगले दिन पूजा में उनका उपयोग करें।


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