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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर लोग व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन सत्यनारायण पूजा का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस तिथि पर गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से जीवन में सुख-शांति का वास रहता है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है। तो आइए, इस आर्टिकल में इस खास दिन पर चंद्रमा पूजन की विधि को विस्तार पूर्वक जानते हैं।
माघ पूर्णिमा की तिथि 23 फरवरी दिन शुक्रवार को दोपहर 03:33 बजे शुरू होगी और माघ पूर्णिमा तिथि का समापन 24 फरवरी दिन शनिवार को शाम 05:59 बजे होगा।माघ पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय शाम 05:17 बजे हैं।
माघ पूर्णिमा के दिन शोभन योग बन रहा है। इसके अधिपति देव शुक्र हैं और शुक्रवार के दिन शुक्र का शोभन योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। शुक्र को भौतिक सुख, सुविधाओं, ग्लैमर, रोमांस का कारक माना जाता है।माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा कर्क राशि में होगा। कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव हैं। पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। माघ पूर्णिमा के दिन अश्लेषा नक्षत्र भी है और उसके स्वामी बुध ग्रह हैं। बुध के शुभ प्रभाव से लोगों को करियर, बिजनेस आदि में उन्नति की प्राप्ति होगी और माघ पूर्णिमा पर रवि योग सुबह 06:53 बजे से शाम 07:25 बजे तक है। रवि योग में सूर्य की प्रधानता होती है और अशुभ प्रभाव व दोष खत्म होते हैं।
ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही माघ पूर्णिमा पर रात में चंद्रोदय के समय चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए, इस दिन स्नान-दान का विशेष माना जाता है। जो लोग माघ माह में संगम नदी के किनारे रहकर व्रत और संयम के साथ स्नान ध्यान करते हैं उनके लिए माघ पूर्णिमा बहुत ही खास मानी जाती है। क्योंकि, इस दिन वे लोग अपने कल्पवास की परंपरा को पूरा करते हैं एवं अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करते हैं।