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हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है। माघ माह के दौरान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित त्रिवेणी घाट पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस पवित्र नदी में स्नान करने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। हालांकि, त्रिवेणी घाट पर स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि आपको सिर्फ त्रिवेणी के जल में स्नान करने से ही पुण्य की प्राप्ति होगी। आप सच्चे मन और नियमानुसार अपने घर पर भी स्नान कर लाभ पा सकते हैं। अब ऐसे में माघ माह में गंगा स्नान कैसे करें और इस दौरान कौन-कौन से व्रत रखना शुभ माना जाता है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में जानते हैं।
माघ मास में प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए और सूर्य नमस्कार के बाद सूर्य देव को जल अर्पण करना चाहिए। घर पर स्नान करते समय पानी में तिल मिलाने से स्नान का महत्व और बढ़ जाता है। इस पवित्र महीने में तुलसी माता की नियमित पूजा करने से मन शांत होता है। साथ ही, तिल, गुड़ और कंबल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से सबसे अधिक पुण्य मिलता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 से 5 बजे के बीच का समय होता है। : स्नान करते समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खड़े होना चाहिए। स्नान के दौरान गंगा माता के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
माघ महीना हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में नियमित स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेषकर, त्रिवेणी संगम में स्नान करने से जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं क्योंकि माना जाता है कि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का पवित्र संगम होता है। इसी तरह, सूर्य देव की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खास बात यह है कि माघ महीने में सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जो कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख व्रत हैं सकट चौथ, पट्षिला एकादशी और जया एकादशी। आइए इन व्रतों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
सकट चौथ मुख्य रूप से गणेश जी को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को गणेश जी की पूजा करती हैं। वहीं, षट्तिला एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। षटतिला शब्द का अर्थ है 'छह तिल'। इस व्रत में तिल का विशेष महत्व होता है।
वहीं जया एकादशी के दिन भी व्रत रखने की मान्यता है। जया एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। यह व्रत हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।