नवीनतम लेख

मासिक शिवरात्रि कब है?

Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि 27 या 28 जनवरी? जानें सही तिथि और व्रत का शुभ मुहूर्त, दूर करें कंफ्यूजन


हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शिव पुराण के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत विवाहित जीवन को सुखमय बनाता है और विवाह के शुभ योगों को तेज करता है। इस लेख में जानें कि जनवरी 2025 में मासिक शिवरात्रि कब है और शुभ मुहूर्त क्या हैं।


मासिक शिवरात्रि कब है?


हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 जनवरी को सुबह 8:34 बजे शुरू होगी और 28 जनवरी को शाम 7:35 बजे समाप्त होगी।

इस प्रकार, मासिक शिवरात्रि 27 जनवरी को मनाई जाएगी।

श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा और व्रत विशेष रूप से निशा काल (रात्रि का समय) में करते हैं। यह समय भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।


मासिक शिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त


1) ब्रह्म मुहूर्त:

सुबह 5:26 बजे से 6:19 बजे तक।

यह समय भगवान शिव की उपासना के लिए सर्वोत्तम है।


2) गोधूलि मुहूर्त:

शाम 5:54 बजे से 6:20 बजे तक।

इस समय पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।


3) निशिता मुहूर्त:

रात 12:07 बजे से 1:00 बजे तक।

यह समय मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सबसे शुभ माना गया है।


मासिक शिवरात्रि पर शुभ योग


1) हर्षण योग:

यह योग सुबह से रात 1:57 बजे तक रहेगा।

इस योग में पूजा करने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।


2) भद्रावास योग:

यह योग सुबह 8:34 बजे से रात्रि तक रहेगा।

इस योग में पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विवाह के योग बनते हैं।


मासिक शिवरात्रि पूजा की विधि


मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करते समय इन विधियों का पालन करें:


1) ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान से तन-मन की शुद्धि होती है, जिससे पूजा का फल अधिक मिलता है।


2) पूजा स्थान को साफ करें:

  • पूजा घर को गंगाजल से शुद्ध करें।


3) शिवलिंग या शिव परिवार की स्थापना करें:

  • चौकी पर शिवलिंग या भगवान शिव परिवार की तस्वीर स्थापित करें।


4) पूजा सामग्री चढ़ाएं:

  • भगवान शिव को जल, गंगाजल, बेलपत्र, भांग, फल-फूल, मिठाई, और धतूरा चढ़ाएं।


5) धूप-दीप और घी का दीपक जलाएं:

  • पूजा के दौरान धूप और दीपक अर्पित करें।


6) मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें:

  • भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।


7) भगवान शिव को भोग लगाएं:

  • अंत में भोग अर्पित करें और आरती करें।


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी सत्यता की गारंटी नहीं देते हैं।


सत्यनारायण व्रत की महत्वपूर्ण बातें

सनातन धर्म में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है, जो विशेष दिनों में और नियम से करने की सलाह दी जाती है। यह पूजा भगवान सत्यनारायण को समर्पित होती है।

जागो पहाड़ावाली तेरा, जागण वेला होया(Jaago Pahada Waali Tera Jagan Vela Hoya)

जागो पहाड़ावाली तेरा,
जागण वेला होया,

राष्ट्रगान - जन गण मन (National Anthem - Jana Gana Mana)

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता,
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग,

मुझे राधे-राधे कहना सिखादे (Mujhe Radhe Radhe Kahana Shikhade)

मुझे राधे राधे कहना सिखा दे
कन्हैयाँ तेरा क्या बिगड़े,