वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि लाना चाहते हैं? जानकी जयंती पर करें ये विशेष उपाय
हिंदू धर्म में जानकी जयंती का विशेष महत्व है, जिसे माता सीता के अवतरण का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म में रामायण ग्रंथ का विशेष महत्व है, जिसमें भगवान राम, भगवान लक्ष्मण और माता सीता के जीवन की कथाएं वर्णित हैं। माता सीता रामायण की मुख्य पात्र हैं और उनके अवतरण का दिन जानकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष जानकी जयंती 21 फरवरी को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन किए गए कुछ उपाय मनुष्य के जीवन के लिए फलदायी होते हैं और दांपत्य जीवन सुखमय रहता है। आइए जानें जानकी जयंती के दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में।
जानकी जयंती 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 फरवरी को प्रातः 9 बजकर 58 मिनट पर होगी, जो 21 फरवरी को प्रातः 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। इसलिए जानकी जयंती अर्थात् माँ सीता का जन्मदिन 21 फरवरी 2025 को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
जानकी जयंती पर करें ये विशेष उपाय
सिंदूर का दान: जानकी जयंती के दिन सिंदूर का दान करने का विशेष महत्व है। सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। यह पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक है। सिंदूर को माता सीता का भी प्रतीक माना जाता है। इसलिए जानकी जयंती के दिन सिंदूर का दान करने से माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति की दीर्घायु होती है।
अन्न का दान: जानकी जयंती के दिन अन्न दान करने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ हो सकता है और मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त यदि आपको किसी प्रकार की कोई समस्या है, तो उससे मुक्ति मिल सकती है।
लाल वस्त्र का दान: जानकी जयंती के दिन लाल वस्त्र का दान करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और यदि किसी अविवाहित व्यक्ति को विवाह में कोई बाधा आ रही है, तो उससे भी मुक्ति मिल सकती है। लाल वस्त्र का दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है।
व्रत और पूजा: जानकी जयंती के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन भगवान श्री राम और माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना करें और माता सीता की मांग में सात बार सिंदूर लगाएं। तत्पश्चात् आप भी अपनी मांग में सिंदूर लगाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
अन्य उपाय
- प्रातःकाल "श्री सीता रामाभ्यां नमः" मंत्र का जाप करें।
- श्री राम-सीता को पीले पुष्प अर्पित करें।
- गुड़ और आटे का रोट अर्पित करें।
- श्री हनुमान जी की पूजा करें।
- अष्टमी पर श्रीराम व मां सीता की पूजा विधि
- जानकी जयंती के दिन विधि-विधान से माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पूजा सामग्री:
- पीले पुष्प
- पीले वस्त्र
- सोलह श्रृंगार
- पीली सामग्री (भोग के लिए)
- दुग्ध-गुड़ से निर्मित व्यंजन
- केसर-चंदन
- तुलसी
पूजा विधि:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता सीता और भगवान श्रीराम को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें।
- सर्वप्रथम श्री गणपति और माता अंबिका की पूजा करें।
- तत्पश्चात् माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करें।
- माता सीता के समक्ष पीले पुष्प, पीले वस्त्र और सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
- भोग में पीली सामग्री अर्पित करें और आरती करें।
- दुग्ध-गुड़ से व्यंजन बनाकर दान करें।
- सायंकाल पूजा के उपरांत इसी व्यंजन से उपवास का पारण करें।
- सीता अष्टमी पर प्रातः श्रीराम और माता सीता को केसर-चंदन और तुलसी अर्पित करें।