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धार्मिक मान्यता के मुताबिक, होलिका दहन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है। होलिका दहन के विधिवत आराधना करने से नकारात्मकता भी घर से बाहर चल जाता है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद बना रहता है। धार्मिक मान्यताएं हैं कि ये भी है कि सही तरीके से पुजा की जाए तो परिवार के सदस्यों को बीमारियों से मुक्ति है।
मूंग, सूखा नारियल, फल, फूल, मिठाई, बताशा, मिट्टी का दीया, गोबर के उपलों की माला, गेहूं की बाली और एक लोटा शुद्ध जल लें।
होलिका दहन पूजा करने के लिए सबसे पहले होलिका दहन वाले स्थान पर एक लोटे में जल छिड़क दें, जहां आप पूजा करने जा रहे हैं। ऐसा करने से उस स्थान की धरती शुद्ध हो जाएगी। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और फिर हल्दी, रोली, चावल, कुमकुम, फल, फूल, मिठाई आदि होलिका पर चढ़ाएं। इसके बाद कच्चे धागे को होलिका के चारों ओर सात बार घुमाते हुए लपेट दें।
इसके बाद गोबर के उपलों की माला चढ़ाएं और जब होलिका की अग्नि प्रज्वलित हो जाए तो अंत में एक नारियल काटकर उसमें कुछ काले तिल डालकर उसे सिर पर सात बार वारकर जलती होलिका पर रख दें और एक बार फिर जलती होलिका की सात बार परिक्रमा करें। अंत में जब होलिका की राख ठंडी हो जाए तो उसे अपने घर ले जाएं और प्रसाद के रूप में माथे पर धारण करें।
होलिका दहन पूजा करते समय कुछ शुभ मंत्रों का जाप करने की परंपरा है, जिनके जाप के बिना होलिका की पूजा अधूरी मानी जाती है। चूंकि होलिका की पूजा का संबंध होलिका, भगवान श्री विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह और उनके परम भक्त प्रह्लाद से है, इसलिए होलिका दहन करते समय इनसे संबंधित मंत्रों का विशेष रूप से जाप करना चाहिए। होलिका की पूजा के ‘ॐ होलिकायै नम:’, नरसिंह भगवान के लिए ‘ॐ नृसिंहाय नम:’ और भक्त प्रहलाद के लिए ‘ॐ प्रह्लादाय नम:’ मंत्र को पढ़ें।