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प्रत्येक महीने दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा पाने का उत्तम समय है। इस दिन गणपति जी की आरती और मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि आप अपने जीवन में शांति और सफलता चाहते हैं तो भगवान गणेश के इन मंत्रों और आरती का जाप अवश्य करें।
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और शुभ लाभ के देवता माना जाता है। इस दिन भक्त विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और अपने जीवन से समस्याओं को दूर करने के लिए उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश के मंत्रों का जाप और आरती करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी॥
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की आरती का गान उनकी पूजा का अभिन्न हिस्सा है। आरती के शब्द भक्तों के हृदय को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
गणेश जी के मंत्रों का जाप करने से जीवन में शांति, सफलता और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। खासकर विनायक चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप बेहद प्रभावशाली माना जाता है।
स्तोत्र मंत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम्।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्।।
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।
1. विद्यार्थी: विद्या और ज्ञान की प्राप्ति।
2. धनार्थी: आर्थिक समृद्धि।
3. पुत्रार्थी: संतान की प्राप्ति।
4. मोक्षार्थी: मोक्ष की प्राप्ति।
गणपति स्तोत्र को प्रतिदिन तीन बार (प्रातः, दोपहर और संध्या) पढ़ने से जीवन में सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसे छह महीने तक नियमित पढ़ने से जीवन में स्थायी सुख और शांति प्राप्त होती है।
1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. गणेश जी की मूर्ति के सामने दीप जलाएं और फूल अर्पित करें।
3. अब गणेश जी की आरती करें।
4. तत्पश्चात, उनके मंत्रों का जाप करें।
"ॐ गं गणपतये नमः।"
इस मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को प्रसन्न करने का विशेष अवसर है। उनकी आरती और मंत्र जाप से मन की शांति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इस दिन भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी आराधना करें।