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फाल्गुन मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। फाल्गुन मास में प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और संध्या काल के दौरान भगवान शिव की पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस प्रकार की पूजा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस दिन कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं, जिनमें कुछ उपायों को करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है। आइए भक्तवत्सल के इस लेख में इस विषय को विस्तार से जानें।
फाल्गुन मास की त्रयोदशी तिथि अत्यंत शुभ है, क्योंकि इस दिन कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। ये योग अत्यंत शुभ माने जाते हैं और इस दिन किए गए कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है। यह तिथि शुभ कार्यों के लिए उत्तम है और इस दिन किए गए कार्य फलदायी होते हैं। इस नक्षत्र में किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं। इन शुभ योगों के साथ, यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
फाल्गुन माह के पहले प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान जल में गंगाजल और चावल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करने से कर्ज संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और धन लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही कर्ज से मुक्ति भी मिल सकती है।
फाल्गुन माह का पहला प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि शिवलिंग का दूध, दही और मधु से अभिषेक करने तथा बिल्वपत्र चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन महीने का पहला प्रदोष व्रत विशेष योग और नक्षत्रों के संयोग में आता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान शिवलिंग पर केसर चढ़ाने से आर्थिक समस्याओं और धन की कमी से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन शिवलिंग पर केसर अर्पित कर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।