नवीनतम लेख
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति इस लोक में समस्त सुख भोगकर मृत्य के बाद स्वर्ग में स्थान पाता है। जनवरी के महीने में एकादशी का व्रत 10 और 25 जनवरी को रखा जाएगा। जनवरी के महीने में दो खास एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एक पुत्रदा एकादशी और दूसरी षटतिला एकादशी। पुत्रदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, जनवरी में पड़ने वाली एकादशी का खास महत्व बताया गया है। जनवरी की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही, षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, जनवरी में पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 9 जनवरी को सुबह 10 बजकर 52 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 8 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा।
षटतिला एकादशी का व्रत हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 24 जनवरी शाम 5 बजकर 55 मिनट पर होगी। वहीं, इस एकादशी तिथि का समापन 25 जनवरी को शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी 2025 के दिन रखा जाएगा।