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दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी दुर्गा की कृपा पाने का एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माध्यम है। इसे 'चंडी पाठ' के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं, जो देवी दुर्गा की महिमा, उनकी विजय और शक्ति का वर्णन करते हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ के बिना देवी पूजा अधूरी मानी जाती है। दुर्गाष्टमी के अवसर पर सप्तशती का पाठ विशेष पुण्यकारी माना जाता है। हालांकि, इसे पढ़ने की विधि को लेकर अक्सर श्रद्धालुओं में संशय होता है। तो आइए इस लेख में दुर्गा सप्तशती के पाठ की विधि को विस्तार से जानते हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ 1 दिन में या विशेष क्रम से 7-9 दिनों में किया जा सकता है। यदि समयाभाव हो तो इसे निम्नलिखित शास्त्रोक्त विधियों का पालन करते हुए भी किया जा सकता है।
दुर्गा सप्तशती के पाठ के लिए निम्नलिखित अनुक्रम का पालन करें।
1. कवच
2. अर्गला स्तोत्र
3. कीलक मंत्र
4. सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ विशेष विधि से भी किया जा सकता है।
5. मूर्ति रहस्य
6. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
7. क्षमा प्रार्थना
यदि 1 दिन में दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ संभव न हो, तो इसे 7 या 9 दिनों में निम्न क्रम से पढ़ा जा सकता है।
1. पाठ के दौरान शुद्धता और ध्यान का विशेष ध्यान रखें।
2. दुर्गा सप्तशती का पाठ मंदिर, पूजा कक्ष या अन्य पवित्र स्थान पर करें।
3. पाठ से पूर्व देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
4. पाठ पूरा होने पर प्रसाद वितरण और कन्याभोज करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ शक्ति, विजय और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। मार्गशीर्ष दुर्गाष्टमी के दिन इसका पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है। चाहे इसे 1 दिन में किया जाए या 7-9 दिनों में चरणबद्ध रूप से, शास्त्रोक्त विधि का पालन करते हुए पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।