नवीनतम लेख

मार्गशीर्ष दुर्गाष्टमी पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले जान लें ये नियम


दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी दुर्गा की कृपा पाने का एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माध्यम है। इसे 'चंडी पाठ' के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं, जो देवी दुर्गा की महिमा, उनकी विजय और शक्ति का वर्णन करते हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ के बिना देवी पूजा अधूरी मानी जाती है। दुर्गाष्टमी के अवसर पर सप्तशती का पाठ विशेष पुण्यकारी माना जाता है। हालांकि, इसे पढ़ने की विधि को लेकर अक्सर श्रद्धालुओं में संशय होता है। तो आइए इस लेख में दुर्गा सप्तशती के पाठ की विधि को विस्तार से जानते हैं। 


दुर्गा सप्तशती का पाठ संपूर्ण विधि


दुर्गा सप्तशती का पाठ 1 दिन में या विशेष क्रम से 7-9 दिनों में किया जा सकता है। यदि समयाभाव हो तो इसे निम्नलिखित शास्त्रोक्त विधियों का पालन करते हुए भी किया जा सकता है। 


प्रारंभिक विधि (पूजा की तैयारी)


  • प्रोक्षण: पवित्र नर्मदा जल या गंगाजल से स्वयं का सिंचन करें।
  • आचमन: तीन बार जल ग्रहण करें और पवित्रता का संकल्प लें।
  • संकल्प: दुर्गा सप्तशती के पाठ का उद्देश्य और मन्नत का संकल्प करें।
  • उत्कीलन: ग्रंथ के पवित्रता और नियमों का पालन करते हुए पाठ आरंभ करें।
  • शापोद्धार: पाठ के दौरान आने वाले दोषों को समाप्त करने के लिए शापोद्धार मंत्र पढ़ें।


दुर्गा सप्तशती पाठ का क्रम


दुर्गा सप्तशती के पाठ के लिए निम्नलिखित अनुक्रम का पालन करें। 

1. कवच

2. अर्गला स्तोत्र

3. कीलक मंत्र

4. सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ विशेष विधि से भी किया जा सकता है। 

5. मूर्ति रहस्य

6. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

7. क्षमा प्रार्थना


सप्तशती के चरणबद्ध पाठ की विशेष विधि 


यदि 1 दिन में दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ संभव न हो, तो इसे 7 या 9 दिनों में निम्न क्रम से पढ़ा जा सकता है। 


  • प्रथम दिवस: पहला अध्याय (मां दुर्गा की महिमा)।
  • द्वितीय दिवस: दूसरा और तीसरा अध्याय (महिषासुर मर्दिनी चरित्र)।
  • तृतीय दिवस: चौथा अध्याय (देवी की कृपा और विजय)।
  • चतुर्थ दिवस: पांचवां, छठा, सातवां और आठवां अध्याय (देवी के विविध रूप)।
  • पंचम दिवस: नवम और दसवां अध्याय।
  • षष्ठ दिवस: ग्यारहवां अध्याय।
  • सप्तम दिवस: बारहवां और तेरहवां अध्याय।
  • अष्टम दिवस: मूर्ति रहस्य, हवन और क्षमा प्रार्थना।
  • नवम दिवस: कन्या भोज और देवी की आराधना।


जानिए महत्वपूर्ण बातें


1. पाठ के दौरान शुद्धता और ध्यान का विशेष ध्यान रखें।

2. दुर्गा सप्तशती का पाठ मंदिर, पूजा कक्ष या अन्य पवित्र स्थान पर करें।

3. पाठ से पूर्व देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।

4. पाठ पूरा होने पर प्रसाद वितरण और कन्याभोज करें।


सप्तशती पाठ के लाभ 


दुर्गा सप्तशती का पाठ शक्ति, विजय और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। मार्गशीर्ष दुर्गाष्टमी के दिन इसका पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है। चाहे इसे 1 दिन में किया जाए या 7-9 दिनों में चरणबद्ध रूप से, शास्त्रोक्त विधि का पालन करते हुए पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।


गंगा से गंगाजल भरक (Ganga Se Gangajal Bharke)

गंगा से गंगाजल भरके,
काँधे शिव की कावड़ धरके,

माता रानी कीजिये, किरपा की बरसात (Mata Rani Kijiye Karipa Ki Barsat)

माता रानी कीजिये,
किरपा की बरसात,

जानकी नाथ सहाय करें (Janaki Nath Sahay Kare)

जानकी नाथ सहाय करें
जानकी नाथ सहाय करें,

श्रीकृष्ण लीला: जब बाल कान्हा ने फल वाली अम्मा की झोली हीरे-मोती से भर दी

भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।