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हनुमान पूजा या जयंती को लेकर लोगों के मन में हमेशा संशय रहता है, क्योंकि साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है। एक चैत्र माह की पूर्णिमा और दूसरी कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को। कार्तिक मास की हनुमान जयंती दिवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है। इस साल कार्तिक मास की चतुर्दशी 30 अक्टूबर 2024 को पड़ रही है। वायु पुराण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि को हुआ था, जब सूर्य मंगलवार को स्वाती नक्षत्र में और मेष लग्न में था।
यह शिव के अंश के रूप में हनुमान जी का अवतार है और इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हनुमान पूजा की जाती है। साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि राम भक्त हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर राम भक्त हनुमान जी की श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है। आइए हनुमान जयंती पर शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और शुभ योग के बारे में जानते हैं।
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 32 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
चन्द्रोदय - शाम 05 बजकर 20 मिनट पर (31 अक्टूबर)
चंद्रास्त - सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट से 06 बजकर 03 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 30 अक्टूबर को हनुमान जी की पूजा की जाएगी। इस शुभ तिथि पर पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार हनुमान जी की पूजा-आरती कर सकते हैं।
हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर भद्रावास का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस समय में भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। भद्रा के पाताल लोक में रहने के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित समस्त प्राणियों का कल्याण होता है। हनुमान पूजा के दिन दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से लेकर रात्रि के 2 बजकर 35 मिनट तक भद्रावास संयोग है। इस दौरान हनुमान जी की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
कहा जाता है कि हनुमान जी अब भी धरती पर उपस्थित हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। हनुमान पूजा तथा काली चौदस एक ही दिन आते हैं। यह माना जाता है कि काली चौदस की रात में प्रेत आत्मायें सर्वाधिक शक्तिशाली होती हैं। अतः सभी प्रकार की बुरी आत्माओं से सुरक्षा के लिये तथा शक्ति एवं बल की प्राप्ति के लिये हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन हनुमान जी का पूजन, हवन और पाठ स्तोत्र संकीर्तन करने से विशेष लाभ होगा। यह दिन भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। हनुमान जी की पूजा से सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्यराज रावण को परास्त कर, अपने चौदह वर्षीय वनवास को पूर्ण करने के पश्चात् भगवान राम के पुनः अयोध्या आगमन की प्रसन्नता में दीवाली उत्सव मनाया जाता है। हनुमान जी की भक्ति व समर्पण से प्रसन्न हो कर, भगवान श्री राम ने हनुमान जी को वरदान दिया था कि उनसे पहले हनुमान जी का पूजन किया जायेगा। इसीलिये लोग दीवाली के एक दिन पूर्व भगवान हनुमान की पूजा करते हैं। इसी दिन अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मन्दिर में श्री हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। हालांकि, उत्तर भारत में अधिकांश भक्त चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव मनाते हैं।