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दत्तात्रेय जयंती कब है?


त्रिदेवों के अंश माने जाते हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें कब है दत्तात्रेय जयंती और इस का शुभ मुहूर्त


हिंदू धर्म में दत्तात्रेय जयंती का बेहद खास महत्व है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें त्रिदेवों यानि ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी तीनों का अंश माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। इसे दत्त जयंती के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा से त्रिदेवों की आराधना के समान फल मिलता है।


दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा व व्रत किए जाने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से साधक के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं और उसकी हर मनोकामना भी पूरी होती है। आइए जानते हैं कि साल 2024 में दत्तात्रेय जयंती कब है? और इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है? 



कब है दत्तात्रेय जयंती 2024? 


पंचांग के अनुसार दत्तात्रेय जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल इस तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर 2024 को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर हो रही है, जो 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत भी रखा जाएगा। 



दत्तात्रेय जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त 


दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में शुभ मुहूर्त में भगवान दत्तात्रेय की विधि-विधान से पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन शाम के समय गोधूलि मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। जो शाम 05 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। 



दत्तात्रेय जयंती का महत्व 


शास्त्रों के अनुसार दत्तात्रेय जयंती का बहुत ही खास महत्व है। भगवान दत्तात्रेय के पिता महर्षि अत्रि और माता अनुसूइया थीं। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से सुख, समृद्धि और मनोकामना पूर्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन गंगा स्नान और दान- पुण्य करने से व्यक्ति के सारे कष्टों का नाश होता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है।



भगवान दत्तात्रेय मंत्र 


पूजा में भगवान दत्तात्रेय के इन मंत्रों का कर सकते हैं जाप-


ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नम:।

दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा।

ऊं ह्रीं विद्दुत जिव्हाय माणिक्यरुपिणे स्वाहा।

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