दर्श अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए कैसे करें पूजा, जानें पूजा, तर्पण और धूप देने की विधि
हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का विशेष महत्व है, जो पितरों की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित मानी जाती है। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण देना और धूप देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण देना और धूप देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूजा हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करती है और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। मार्गशीर्ष मास में दर्श अमावस्या 30 नवंबर को है। ऐसे में आइए जानते हैं दर्श अमावस्या की पूजा विधि, तर्पण और धूप देने की विधि।
दर्श अमावस्या के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का ही माना जाता है, इसलिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि शुभ काम 30 तारीख की दोपहर में करें।
दर्श अमावस्या पूजा विधि
सामग्री:
- पीपल के पत्ते
- जल
- तिल
- कुशा
- आंवला
- दीपक
- धूप
- घी
- फूल
- प्रसाद
पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल में स्नान करें।
- घर की सफाई करें और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
- पीपल के पत्तों को पूजा स्थल पर रखें और तिल, कुशा, आंवला आदि सामग्री को इकट्ठा करें।
- दीपक जलाकर ॐ नमः शिवाय, ॐ त्र्यंबकं यजामहे मंत्र का जप करें।
- घर में दीपक और धूप जलाकर पूजा करें।
- दीपक को घर के मुख्य स्थान, मंदिर और दरवाजों पर रखें।
- गरीबों, ब्राह्मणों या साधुओं को दान करें।
- घर के आंगन में तर्पण का आयोजन करें।
- पितरों को तर्पण देना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें।
तर्पण विधि:
- तर्पण करने के लिए एक पात्र में जल लें और उसमें तिल, कुशा, आंवला आदि सामग्री मिलाएं।
- पितरों का स्मरण करें और उन्हें तर्पण देने का संकल्प लें।
- जल को तीन बार छिड़कें और पितरों को तर्पण दें।
- तर्पण के बाद दीपक जलाकर पितरों को प्रकाश अर्पित करें।
- तर्पण के अंत में पितरों को प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद लें।
पितरों को धूप दें
धूप देने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं, जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।
मंत्र:
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ त्र्यंबकं यजामहे
- ॐ पितृभ्यो नमः
- ॐ पितृ देवताभ्यो नमः
पूजा के लाभ:
- पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- पितरों की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इस दिन किए गए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है।