नवीनतम लेख

चैत्र पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय

Chaitra Purnima Upay: चैत्र पूर्णिमा पर करने चाहिए ये जरूरी उपाय, आर्थिक लाभ और पितृदोष से मिल सकता है छुटकारा  

चैत्र पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। इस दिन धार्मिक अनुष्ठान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ करने से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा पर कुछ उपायों को करने से जीवन की सभी बाधाएं खत्म होती हैं और सुख शांति बनी रहती है। 

चैत्र पूर्णिमा पर स्नान-दान करने से पितृदोष से मिलती है मुक्ति 

चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना या घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान देना चाहिए। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है और यह पितृ दोष शांत करने में भी मदद करता है।

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा से होती है आर्थिक मजबूती 

चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें। साथ ही, देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं और लाल पुष्प, धूप और घी का दीपक जलाकर पूजा करें। इससे घर में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि आती है। 

पीपल के पेड़ में जलाएं घी का दीया 

चैत्र पूर्णिमा के दिन संध्या के समय पीपल के पेड़ की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। इसलिए इस दिन पीपल के चारों ओर 21 बार परिक्रमा करें और घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

चैत्र पूर्णिमा पर चंद्रमा को दें अर्घ्य

रात में चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को जल में शक्कर, सफेद फूल और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें। यह उपाय करना से मानसिक शांति प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। 

चैत्र पूर्णिमा पर करें कच्चे हल्दी का दान

चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव का विशेष संयोग होता है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा पर हल्दी का दान अवश्य करें। यह उपाय करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। 

ब्रह्मा जी की पूजा विधि

ब्रह्मा जी, जिन्हें सृष्टि के रचयिता के रूप में जाना जाता है, के कई मंदिर होने के बावजूद उनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है।

मार्गशीर्ष माह में कब-कब पड़ेंगे प्रदोष व्रत?

हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है।

बजरंगबली हनुमान, तेरा जग में डंका बाज रया (Bajrangbali Hanuman Tera Jag Mein Danka Baj Raha)

बजरंगबली हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥

छठ पूजा: आदितमल के पक्की रे सड़कीया - छठ गीत (Aaditamal Ke Pakki Re Sadkiya)

आदितमल के पक्की रे सड़कीया,
कुजडा छानेला दोकान,