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चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

Navratri 2025: साल में दो बार क्यों मनाए जाते हैं नवरात्र, जानें- क्या है चैत्र और शारदीय नवरात्रि के बीच अंतर


सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं। आइए जानते हैं कि इन दोनों नवरात्रि के बीच क्या अंतर है और इनका धार्मिक महत्व क्या है।


चैत्र नवरात्रि का महत्व


ऐसा माना जाता है कि जब धरती पर महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया और देवता उसे पराजित करने में असमर्थ हो गए, तब माता पार्वती ने अपने नौ दिव्य रूप प्रकट किए। इन शक्तियों को देवताओं ने अपने शस्त्र प्रदान किए और नौ दिनों तक युद्ध के बाद महिषासुर का वध हुआ। यही कारण है कि चैत्र नवरात्रि को शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है।


शारदीय नवरात्रि का महत्व


शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक मानी जाती है। देवी दुर्गा ने आश्विन माह में महिषासुर का वध किया था, जिससे इन दिनों को शक्ति साधना के लिए पवित्र माना गया। इसके अलावा, भगवान राम ने भी इसी दौरान देवी दुर्गा की आराधना की और विजय प्राप्त कर रावण का वध किया। इसलिए, इसे अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।


चैत्र और शारदीय नवरात्रि में कौन अधिक शक्तिशाली?


यह प्रश्न व्यक्ति और परंपरा पर निर्भर करता है। चैत्र नवरात्रि को गुड़ी पड़वा और उगादी के रूप में मनाया जाता है, जबकि शारदीय नवरात्रि को दुर्गा पूजा और दशहरा के रूप में। दोनों ही नवरात्रि शक्ति की आराधना के लिए महत्वपूर्ण हैं।


क्यों खास है यशोदा जयंती

हिंदू धर्म में यशोदा जयंती बहुत खास मानी जाती है। यशोदा जयंती का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की मां यशोदा के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भले ही माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था परंतु उनका पालन-पोषण माता यशोदा ने ही किया था।

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