नवीनतम लेख

भीष्म अष्टमी पर करें गंगा स्नान

Bhishma Ashtami 2025: धर्म और श्रद्धा का विशेष पर्व भीष्म अष्टमी; इस दिन करें गंगा स्नान


भीष्म अष्टमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन विशेष रूप से पितरों को समर्पित होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके वंश में संतान नहीं होती। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

इस वर्ष भीष्म अष्टमी 5 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।

  • तिथि प्रारंभ: 5 फरवरी 2025, रात्रि 2:30 बजे
  • तिथि समाप्ति: 6 फरवरी 2025, रात्रि 12:35 बजे
  • उदया तिथि के अनुसार: 5 फरवरी 2025 को भीष्म अष्टमी मनाई जाएगी।

इस दिन के विशेष अनुष्ठान और पूजन विधि


1. स्नान और संकल्प:


  • प्रातः काल किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें और भीष्म पितामह को समर्पित व्रत एवं तर्पण का संकल्प लें। मान्यता है कि भीष्म अष्टमी पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि गंगा में स्नान संभव न हो, तो घर में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।

2. तर्पण और पिंडदान:


  • इस दिन जल में तिल और कुश डालकर तर्पण करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • जो लोग संतानहीन हैं, वे इस दिन पिंडदान और श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

3. भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की पूजा:


  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • साथ ही भीष्म पितामह का पूजन भी किया जाता है।

4. ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराना:


  • इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

भीष्म अष्टमी क्यों मनाई जाती है?


भीष्म पितामह का जीवन त्याग, धर्म और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक था। उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और हस्तिनापुर के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी।

महाभारत युद्ध के दौरान, जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे, तब उन्होंने अपनी इच्छामृत्यु के वरदान के कारण उत्तरायण में प्राण त्यागने का निर्णय लिया। उनकी आत्मा की शांति के लिए भीष्म अष्टमी के दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

भीष्म अष्टमी का महत्व


  • पितृ दोष से मुक्ति: इस दिन जल, कुश और तिल से तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है और पितृ दोष समाप्त होता है।
  • पापों का नाश: मान्यता है कि भीष्म अष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • श्राद्ध अनुष्ठान: जो लोग अपने पिता को खो चुके हैं, वे भीष्म पितामह के नाम पर श्राद्ध करते हैं।
  • धर्म और नीति शिक्षा: भीष्म पितामह द्वारा दी गई शिक्षाएँ आज भी नीति और धर्म का सही मार्ग दिखाती हैं।

मार्गशीर्ष माह में कब-कब पड़ेंगे प्रदोष व्रत?

हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है।

हे नाथ दया करके, मेरी बिगड़ी बना देना (Hey Nath Daya Karke Meri Bigdi Bana Dena)

हे नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,

श्रीमन नारायण नाम संकीर्तन (Sriman Narayan Nama Sankirtan)

श्रीमन्नारायण नारायण नारायण नारायण ।टेक।
लक्ष्मीनारायण नारायण नारायण नारायण

मेरी मैया चली, असुवन धारा बही(Meri Maiya Chali Ashuvan Dhara Bahi)

मेरी मैया चली,
असुवन धारा बही,

यह भी जाने