नवीनतम लेख

भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर

भारत में भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं, स्कंद षष्ठी पर दर्शन करने से होगा लाभ 


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की स्कंद षष्ठी 3 फरवरी 2025 को होगी।

भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। भारत में उनके कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं, विशेष रूप से दक्षिण भारत में, जहां भगवान कार्तिकेय की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। आइए जानते हैं उनके प्रमुख मंदिरों के बारे में...

1. कार्तिक स्वामी मंदिर, उत्तराखंड


यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में, समुद्र तल से लगभग 3,048 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह रुद्रप्रयाग से लगभग 40 किमी दूर है, और अंतिम 3 किमी की यात्रा पैदल करनी होती है, जो एक रोमांचक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।

यहां से हिमालय की बर्फीली चोटियों का भव्य दृश्य दिखाई देता है। मंदिर तक का मार्ग घने जंगलों, ऊँचे पहाड़ों और शांत वातावरण से होकर गुजरता है।

➡ मान्यता:

कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय की अस्थियाँ आज भी मौजूद हैं। हालांकि, इसके प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है, और संभवतः ये अस्थियाँ किसी विशेष धातु या अन्य पवित्र सामग्री से बनी हो सकती हैं।

➡ विशेष आयोजन:

  • कार्तिक पूर्णिमा पर इस मंदिर में विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन किया जाता है।
  • महाशिवरात्रि पर भी यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

2. स्वामीमलई मुरुगन मंदिर, तमिलनाडु


यह मंदिर तमिलनाडु के कुंभकोणम के पास स्थित है। यहां भगवान कार्तिकेय के बालरूप की पूजा की जाती है, इसलिए उन्हें बालामुरुगन भी कहा जाता है।

➡ विशेषताएँ:

  • मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए 60 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं।
  • इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय, मोर की बजाय एरावत हाथी पर विराजमान हैं, जो एक अनोखी विशेषता है।

3. तिरुत्तनी मुरुगन मंदिर, तमिलनाडु


यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में, चेन्नई से 84 किमी की दूरी पर स्थित है।

➡ विशेषताएँ:

  • भगवान मुरुगन के छह प्रमुख मंदिरों में से एक।
  • यहां पहुंचने के लिए 365 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो साल के 365 दिनों का प्रतीक मानी जाती हैं।

विवाह पंचमी पर शादी क्यों नहीं होती ?

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह तिथि नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है।

प्रदोष व्रत शुभ योग

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर शिव पूजन करने और उपवास रखने से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

तुम से लागी लगन.. पारस प्यारा (Tumse Lagi Lagan Le Lo Apni Sharan Paras Pyara)

तुम से लागी लगन,
ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,

अमावस्या और शनिवार का संयोग, करें ये उपाय

इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 30 नवंबर 2024 को सुबह 10:29 बजे से प्रारंभ होगी जो अगले दिन 1 दिसंबर 2024 को सुबह 11:50 बजे तक जारी रहेगी।