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त्रिदेव के अंश माने जाते हैं भगवान दत्तात्रेया, जानिए कैसे करें इनकी पूजा 



भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे। इस बार भगवान दत्तात्रेय की जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। भगवान दत्तात्रेय को श्रीगुरुदेवदत्त के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वे गुरु और भगवान दोनों का ही स्वरूप हैं। इस दिन जो भी भगवान दत्तात्रेय की पूजा करता है, वो गुरू और ईश्वर दोनों का आशीर्वाद प्राप्त करता है। गौ माता और कुत्ते दोनों को उनकी सवारी माना गया है। इसलिए जो भी दत्तात्रेय जयंती पर गाय और कुत्ते की पूजा करता है, भगवान दत्तात्रेय उसको मनचाहा फल देते हैं। इस दिन विधि-विधान से भगवान दत्तात्रेय की पूजा अर्चना करना चाहिए। आइये दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि को विस्तार से जानते हैं। 

दत्तात्रेय जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त 


दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में शुभ मुहूर्त में भगवान दत्तात्रेय की विधि-विधान से पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन शाम के समय गोधूलि मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। जो शाम 05 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। 

दत्तात्रेय जयंती पूजा विधि 


पूजा सामग्री:

  • भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर
  • फूल (विशेष रूप से तुलसी और गुलाब)
  • अगरबत्ती
  • दीपक
  • मिठाइयाँ
  • चंदन सिन्दूर
  • हल्दी
  • प्रसाद (विशेष रूप से गुड़ और चना)
  • आरती के लिए दीये और कपूर

पूजा विधि:

  1. गंगा स्नान: इस दिन सबसे पहले उठकर गंगा नहाना चाहिए। अगर गंगा जी जाकर स्नान संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाना चाहिए।
  2. सूर्य को जल देना: इस दिन भगवान सूर्य को जल देना चाहिए।
  3. पंचोपचार विधि से पूजा: इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पंचोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए।
  4. व्रत करना: इस दिन व्रत करना चाहिए और उनके बताए रास्तों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
  5. दत्तात्रेय मंत्र का जाप: इस दिन पूजा के समय दत्तात्रेय मंत्र का जाप करना चाहिए।
  6. अवधूत गीता या जीवन मुक्ति गीता का पाठ: इस दिन अवधूत गीता या जीवन मुक्ति गीता का पाठ करना लाभकारी होता है।

पूजा समारोह:

  • फूल, अगरबत्ती, दीपक और मिठाइयाँ अर्पित करना: पूजा समारोह के दौरान विशिष्ट फूल, अगरबत्ती, दीपक और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं।
  • चंदन सिन्दूर और हल्दी लगाना: पूजा के दौरान देवता की मूर्ति या तस्वीर पर चंदन सिन्दूर और हल्दी लगानी चाहिए।
  • सात चक्कर लगाना: पूजा शुरू होने के बाद, भक्तों को भगवान दत्त की मूर्ति के चारों ओर सात चक्कर लगाने चाहिए।
  • प्रसाद और आरती वितरित करना: पूजा में सभी को प्रसाद और आरती वितरित करनी चाहिए।

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