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वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घरों में अन्न एवं धन के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बरकरार रहती है। इस शुभ अवसर पर भक्त श्रद्धा भाव से भगवान शिव और माता अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिव वास योग योग बन रहा है।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिव वास योग का संयोग बन रहा है। यह योग दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रहा है। इस शुभ अवसर पर शिव और शक्ति की पूजा करने से भक्तों को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही उन्हें जीवन में सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति भी मिलेगी।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को संध्याकाल 04 बजकर 58 मिनट पर होगी और 15 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसी कारण उदया तिथि के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। इसी दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा भी है। अत: इस दिन भक्त गंगा स्नान कर विधि पूर्वक माता अन्नपूर्णा की पूजा करेंगे।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुभ योग का संयोग बन रहा है। इसी योग में ही स्नान-ध्यान किया जाएगा। साथ ही मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाएगी। शुभ योग का समापन 16 दिसंबर को रात 02 बजकर 04 मिनट पर होगा। मान्यता है कि इस योग में स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं अन्नपूर्णा जयंती पर मृगशिरा नक्षत्र का भी संयोग है। इसके साथ ही बव और बालव करण के शुभ योग भी बन रहे हैं। ये सभी मंगलकारी योग हैं। इन योग में भगवान शिव और माता अन्नपूर्णा की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं। इसलिए, हमें कभी भी अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, गैस आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और अन्नपूर्णा देवी की कृपा सदा बनी रहती है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन घर की गृहणियां चूल्हे पर चावल और मिठाई का प्रसाद बनाकर घी का दीपक जलाती हैं। कई लोग इस दिन बिना नमक के भोजन को ग्रहण करते हैं।