नवीनतम लेख

आखिरी संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करें गणेश पूजा

Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024: साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा, बप्पा की कृपा से दूर होंगे सारे विघ्न  



सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी   एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी प्रमुख रूप से भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। संकट शब्द से संकष्टी बना है और चतुर्थी का अर्थ है चौथा दिन। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो आइए इस आलेख में संकष्टी चतुर्थी की विधि को विस्तार पूर्वक जानते हैं। 

पूजन से समाप्त होती हैं सारी रुकावट 


पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी बेहद उत्साह से मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की पूजा आराधना एवं व्रत करने से लोगों को जीवन में सफलता प्राप्त होती है।  इसके साथ ही घर में शांति बरकरार रहती है। साथ ही कार्यों में आ रहीं  सारी तरह की रुकावटें भी समाप्त हो जाती हैं। 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर करें गणपति की पूजा 

 
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार पौष महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को मनाई जाएगी। बता दें कि संकष्टी चतुर्थी की पूजा निशता काल में शाम के समय की जाती है। और इसके उपरांत व्रत का पारण किया जाता है। 

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।

जानिए पूजन का शुभ मुहूर्त 


  • विजय मुहूर्त:- विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। 
  • गोधूलि मुहूर्त:- गोधूली मुहूर्त शाम 05 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल:- अमृत काल सुबह 06 बजकर 30 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। 

जानिए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि 


  • अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः जल्दी उठकर भगवान गणेश का ध्यान करना चाहिए।  
  • अब स्नान ध्यान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।  
  • घर की सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव कर पूरे घर और पूजा स्थल को पवित्र कर लें। 
  • चौकी पर भगवान गणेश और शिव परिवार की प्रतिमा को स्थापित कर लें। 
  • अब भगवान गणेश के माथे पर तिलक लगाएं और श्रद्धा के साथ उन्हें फूलमाला अर्पित करें। 
  • अब व्रत का संकल्प लें और देसी घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश की पूजा करें। 
  • गणपति बप्पा की पूरे विधि-विधान से आरती करें और मोदक व फल का भोग लगाएं। 
  • जीवन के विघ्न को दूर करने के लिए कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। 

गणेश मंत्र 


ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा॥ ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

क्या है संकष्टी चतुर्थी का महत्व? 


भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं। उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है। संकष्टी चतुर्थी में भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और कार्य में सफलता मिलती है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश से मनोकामनाएं मांगने से वे पूरी होती हैं। 

शमसानो के वासी हो, भूतों का है साथ(Shamshano Ke Vasi Ho Bhuto Ka Hai Sath)

शमसानो के वासी हो,
भूतों का है साथ,

भजन श्याम सुंदर का जो करते रहोगे (Bhajan Shyam Sundar Ka Jo Karte Rahoge)

भजन श्याम सुंदर का जो करते रहोगे,
तो संसार सागर तरते रहोगे ।

पहिले पहिल हम कईनी

पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहर,

बेटा जो बुलाए माँ को आना चाहिए (Beta Jo Bulaye Maa Ko Aana Chahiye)

मैया जी के चरणों मे ठिकाना चाहिए।
बेटा जो बुलाए माँ को आना चाहिए॥