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चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। यह तिथि पितृ तर्पण, श्राद्ध और खास उपायों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है।
हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है।
झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।
चेटीचंड, सिंधी समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसे सिंधी नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, जो भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्मे थे।
सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व है। इसे भगवान काल भैरव की उपासना का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा करने से साधकों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र अमावस्य को बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह हिंदू नववर्ष की शुरुआत के एक दिन पहले मनाई जाती है।