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होली का पर्व रंगों और उमंग के साथ-साथ धार्मिक आस्था से भी जुड़ा हुआ है। होलिका दहन की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
होली का त्योहार जितना रंगों और उमंग से भरा होता है, उतनी ही महत्वपूर्ण इससे जुड़ी धार्मिक परंपराएं भी हैं। होलिका दहन एक पौराणिक परंपरा है, जो बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है।
होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व रंगों, खुशियों और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है।
होली का त्योहार प्रेम, एकता और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है और कई आध्यात्मिक कहानियों से जुड़ा हुआ है।
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। कुछ जगह मान्यता है कि होलिका में राक्षस हिरण्यकश्युप की बहन होलिका जल गईं थीं इसलिए ये अशुभता का प्रतीक है।
होलिका दहन हर साल होली के एक दिन पहले किया जाता है। ये दिन असत्य पर सत्य और भक्ति की जीत का प्रतीक है और इस दिन भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को याद किया जाता है।
होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर किया जाता है, इसे छोटी होली भी कहते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत और सच्ची भक्ति का प्रतीक है।
साल 2025 में छोटी होली 13 मार्च गुरूवार को है। ये दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके परम भक्त प्रहलाद की पूजा के लिए समर्पित होता है।
छोटी होली को फागुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, इस साल ये दिन गुरुवार 13 मार्च को है। मान्यतों के अनुसार ये दिन बहुत खास होता है, इस दिन आप जो कुछ भी करते हैं उसका फल आपको पूरे वर्ष तक मिलता है।
फागुन मास की पूर्णिमा के दिन छोटी होली मनाई जाती है। इस साल छोटी होली 13 मार्च को मनाई जाएगी और ये मौका अपने घर में खुशहाली लाने का सबसे अच्छा समय है।