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बन्दहुँ वीणा वादिनी धरि गणपति को ध्यान | महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ||
श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान । बालाजी चालीसा लिखे “ओम” स्नेही कल्याण ।।
श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि। सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि।।
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान। श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय । नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥
श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ । चालीसा वंदन करो, श्री शिव भैरवनाथ ॥
गणपति गिरजा पुत्र को । सुमिरूँ बारम्बार । हाथ जोड़ बिनती करूँ । शारद नाम आधार ॥
गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये। प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।
श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद । श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद ।
श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार II