नवीनतम लेख
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय । नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥
श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ । चालीसा वंदन करो, श्री शिव भैरवनाथ ॥
गणपति गिरजा पुत्र को । सुमिरूँ बारम्बार । हाथ जोड़ बिनती करूँ । शारद नाम आधार ॥
गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये। प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।
श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद । श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद ।
श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार II
हे पितरेश्वर नमन आपको, दे दो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।
प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१|| गीत सुनाऊँ अद्भुत यार | धारण से हो बेड़ा पार ||२||
जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू, चतुरानन सुखमूल। करहु कृपा निज दास पै, रहहु सदा अनुकूल।
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग। पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥