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मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज । माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥
बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान । शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥
बन्दौ वीणा पाणि को , देहु आय मोहिं ज्ञान। पाय बुद्धि रविदास को , करौं चरित्र बखान।
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड । शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
जय जय जय प्रभु रामदे, नमो नमो हरबार। लाज रखो तुम नन्द की, हरो पाप का भार।
बन्दहुँ वीणा वादिनी धरि गणपति को ध्यान | महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ||
श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान । बालाजी चालीसा लिखे “ओम” स्नेही कल्याण ।।
श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि। सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि।।
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान। श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥