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नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
जय जय श्री महालक्ष्मी करूं माता तव ध्यान। सिद्ध काज मम किजिए निज शिशु सेवक जान।।
जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥
जयति जयति जय ललिते माता! तव गुण महिमा है विख्याता । तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी! सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय । जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय ।।
जय जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान । होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब । सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब, देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार । वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥