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है पित्तरेर आपको दे दियो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।
प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||
जय जय कमलासान जगमूला, रहहू सदा जनपै अनुकूला ।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
जय जय श्री महालक्ष्मी करूं माता तव ध्यान। सिद्ध काज मम किजिए निज शिशु सेवक जान।।
जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥
जयति जयति जय ललिते माता! तव गुण महिमा है विख्याता । तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी! सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय । जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय ।।
जय जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान । होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥