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॥ गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये।
श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद ।
श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार I
है पित्तरेर आपको दे दियो आशीर्वाद, चरणाशीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।
प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||
जय जय कमलासान जगमूला, रहहू सदा जनपै अनुकूला ।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
जय जय श्री महालक्ष्मी करूं माता तव ध्यान। सिद्ध काज मम किजिए निज शिशु सेवक जान।।
जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग । जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ॥