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जय जय जल देवता,जय ज्योति स्वरूप । अमर उडेरो लाल जय,झुलेलाल अनूप ॥
शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय । कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय ।।
कुल गुरू को नमन कर, स्मरण करूँ गणेश । फिर चरण रज सिर धरहँ, बह्मा, विष्णु, महेश ।।
श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ । चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥
जय जय कैला मात हे, तुम्हे नमाउ माथ ॥ शरण पडूं में चरण में, जोडूं दोनों हाथ ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास । मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस ॥
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,
नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल।
बन्दौ वीणा पाणि को , देहु आय मोहिं ज्ञान।
॥ गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये।