नवीनतम लेख

श्रीकृष्ण लीला: जब कंस को पता चला कान्हा उसका वध करने मथुरा पहुंच गया, कन्हैया ने धनुष तोड़ना फिर चाणूर और मुष्टिक का वध किया

Aug 26 2024

वृन्दावन में बचपन बिताने के बाद जवान होकर श्रीकृष्ण मथुरा आए। यहां उन्हें अपने अवतार लेने के मुख्य उद्देश्य को पूरा करना था। लेकिन उन्होंने इससे पहले और भी कई लीलाएं की और कंस के कई साथियों का उद्धार किया।


भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज ‘श्रीकृष्ण लीला’ के दसवें एपिसोड में आज हम आपको उन लीलाओं के बारे में बताएंगे जो कान्हा से कंस तक पहुंचने से पहले मथुरा में कीं…


कंस के महल में पहुंचते ही भगवान ने वहां रखा शिव धनुष बाएं हाथ से उठाया और पलक झपकते ही धनुष के तीन टुकड़े कर दिए। इसके बाद कुबलियापीड़ नाम का विशाल हाथी श्रीकृष्ण की ओर दौड़कर आया तो भगवान ने उसे अपनी मुठ्ठी के प्रहार से मार गिराया। 


श्रीकृष्ण के आने का समाचार सुनकर कांपने लगा कंस


यह समाचार कंस तक पहुंचाने वाले दूत ने कंस से कहा- महाराज एक ग्वाले ने शिव धनुष तोड़ दिया है। वहीं धनुष जो शिवजी ने आपको दिया था। कंस को शिव की वाणी याद आती है कि जो इस धनुष तोड़ेगा वही तुम्हारा वध करेगा। समाचार सुनकर कंस भय से कांपने लगा। फिर कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अपने सबसे बलशाली पहलवान भेजें। इनके नाम मुष्टिक और चाणूर थे। एक तरफ सुकुमार कोमल से कृष्ण-बलराम थे तो दूसरी तरफ बड़े-बड़े मल्ल युद्ध के पहलवान।


मथुरा में हुआ भीषण युद्ध 


बड़ी संख्या में मथुरावासी यह युद्ध देखने आए। कंस भी अपने ऊंचे सिंहासन पर बैठा था। कृष्ण-बलराम दोनों भाईयों ने रंगभूमि में प्रवेश किया। तभी चाणूर और मुष्टिक ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा- ग्वाले यह गोकुल नहीं है। यहां नाटक नहीं युद्ध होगा। कन्हैया बोले- तो देर किस बात की आ जाओ। यह सुनकर सब लोगों को लगा आज ये दोनों बालक मारे जाएंगे। लेकिन भगवान से कौन जीत पाया है।


कृष्ण-बलराम ने भीषण युद्ध में दोनों पहलवानों को मार गिराया और कंस की आंखों में आंखें डालकर कहा- मामा तुमने जिन-जिन को भेजा सब परलोक सिधार गए। अब तुम्हारी बारी है। इस तरह श्रीकृष्ण ने कंस के अंत से पहले उसके सभी साथियों को एक-एक करके ठिकाने लगाया। 


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।